हिमा दास जैसा शायद ही कोई भारतीय होगा, जिसने अपने देशवासियों को एक ही माह में पांच बार गौरवान्वित किया हो। भारत की नई उड़नपरी, जिसे अब लोग ढिंग एक्सप्रेस बुला रहे हैं। हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के ढिंग ज़िले में हुआ था। आपको बता दें कि उनके पिता रंजीत दास एक किसान हैं और जब भी हिमा को मौका मिलता है, तो वह भी अपने पिता के साथ खेती-बाड़ी में मदद करती हैं।

पुरुष फुटबॉल टीम से एथलिट बनने का सफर

हिमा जब इंटरमीडिएट में थी, तो वह अपने कॉलेज के पुरुष फुटबॉल टीम की खिलाड़ी थी। एक मैच के दौरान उनके स्कूल (जवाहर नवोदय विद्यालय) के पीटी टीचर, शमशुल शेख ने हिमा के टैलेंट को पहचाना और फिर हिमा से अपने खेल की रुचि को बदलने को कहा यानी कि फुटबॉल छोड़कर एथलिट बनने को कहा।

उसके बाद हिमा को जितने भी मौके मिलते गए, उन सबको अपने अथक प्रयास से उन्होंने अच्छे से भुनाने की शानदार कोशिश की और उन्हें उनकी मेहनत का फल भी मिला। सन 2018 में उन्हें एशियन गेम्स (जकारता) में भारत की तरफ से 400 मीटर रेस में भागने का मौका मिला और हिमा ने मात्र 50.79 सेकंड में इस रेस को पूरा कर गोल्ड मैडल जीता। ये सिर्फ जीत नहीं थी बल्कि अभी तक के भारत का नैशनल रिकॉर्ड भी है।

यह वही लड़की थी, जिसे दौड़ने के लिए ट्रैक नहीं थे और ना ही पहनने के लिए जूते। जब हिमा जकारता से लौट कर आई तो वह एडिडास की ब्रांड एंबेसडर बन गई, साथ ही साथ असम सरकार ने भी उन्हें अपने स्टेट का एम्बेसडर बनाया।

हिमा का गोल्डन जुलाई

अगर हम 2019 के जुलाई महीने की बात करें, तो यह माह हिमा के लिए गोल्डन जुलाई रहा। इस 19 साल की छोरी ने मात्र 19 दिन में 5 गोल्ड मैडल अपने नाम किए। यहां पर यह बात बिल्कुल सच बैठती है कि हमारी छोरियां छोरो से कम है के

हिमा के लिए यह गोल्डन जुलाई 2 जुलाई को शुरू हुआ,
पहला गोल्ड उन्होंने पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स (पोलैंड) में 200 मीटर रेस में जीता। यहां उन्होंने 23.65 सेकंड में उस रेस को पूरा कर गोल्ड अपने नाम किया था।
दूसरा गोल्ड हिमा ने 7 जुलाई को पोलैंड में कुटनो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा करके जीता था।
तीसरा गोल्ड 13 जुलाई को चेक रिपब्लिक में हुई क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स में 200 मीटर रेस को 23.43 सेकेंड में पूरा करके जीता था।
चौथा गोल्ड उनकी झोली में 17 जुलाई को आया, जब उन्होंने ताबोर एथलेटिक्स मीटर में 200 मीटर रेस को 23.25 सेकेंड में पूरा करके जीत हासिल की।
पांचवां गोल्ड नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांप्री (चेक रिपब्लिक) में 400 मीटर की रेस 52.09 सेकेंड में पूरी करके हासिल किया।

हिमा को 2018 में राष्ट्रपति कोविंद ने अर्जुन अवॉर्ड से भी समानित किया है।

असम बाढ़ पीड़ितों के लिए अपनी आधी सैलरी दान की

अभी हाल ही में असम में बाढ़ आई है। आपको बता दें कि इस संकट की घड़ी में भी हिमा ने सबसे आगे दौड़कर, असम रिलीफ फण्ड में अपना 50% वेतन दान कर दिया। यही नहीं, इसके अलावा उन्होंने ट्वीट कर, बड़ी-बड़ी कंपनियों और व्यक्तियों से भी आगे आकर असम की मदद करने की अपील की।

हिमा ने वाकई आज पूरे देश का दिल जीत लिया है। आज उन्होंने सारी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनकर, एक अद्भुत मिसाल कायम की है। हिमा का कहना है,

मैंने कभी मैडल के पीछे भागने की कोशिश नहीं की, मैंने हमेशा अपने टाइम को कम करने की कोशिश की जिसकी वजह से मैंने मैडल जीते।

आपको बता दें कि हिमा एक ऐसा नाम बन गया है जिसपर हर एक भारतवासी को गर्व है। मैं मानती हूं कि हर घर में हिमा जैसी बेटी होनी चाहिए जो अपने देश के लिए मिसाल बने।

मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि वायरल करना है, तो ऐसी बेटियों को वायरल कीजिए जिसको देखकर या जिसके बारे में पढ़कर लोगों को सीख मिले कि हमें भी ऐसा बनना चाहिए।

Source - YoothKiAwaj