अब नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही 20 रुपये का नया सिक्का जारी करने वाली है. इससे पहले वित्त मंत्रालय मार्केट में 1, 2, 5 और 10 के नए सिक्के के जारी कर चुका है. वहीं आपने नोटिस किया होगा जैसे- जैसे नए सिक्के मार्केट में आ रहे हैं, उनका आकार कम होता जा रहा है. क्या आपने कभी सोचा है इसके पीछे की क्या वजह है? आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं.
पहले जानते हैं कैसा होगा 20 का नया सिक्का
20 रुपये का सिक्का 10 रुपये के सिक्के से बिल्कुल अलग होगा. 10 रुपये के सिक्के में आउटर रिंग 75 फीसदी कॉपर, 20 फीसदी जिंक और 5 फीसदी रासायनिक तत्व 'निकल' होता है. जबकि अंदर की डिस्क में 65 फीसदी कॉपर, 15 फीसदी जिंक और 20 फीसदी रासायनिक तत्व 'निकल' होता है. वहीं दृष्टिबाधित लोगों के लिए 20 के सिक्कों को पहचानना मुमकिन होगा.
20 के सिक्के पर अनाज के निशान होंगे जो देश में कृषि क्षेत्र की प्रधानता को इंगित करेंगे. 20 रुपये के सिक्के में INDIA अंकित होगा. सिक्के के पीछे रुपये के निशान के साथ उसकी राशि '20' लिखी होगी. वित्त मंत्रालय का कहना है कि करेंसी नोट की तुलना में सिक्कों की लाइफ ज्यादा होती है और लंबी अवधि तक ये चलन में बने रहते हैं.
कौन लेता है सिक्के जारी करने की जिम्मेदारी
देश में करेंसी नोटों को छापने के काम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से किया जाता है, वहीं सिक्कों के निर्माण का काम वित्त मंत्रालय (Finance Minister) का होता है.
देश में 1 रुपये के नोट और सिक्कों को छोड़कर सभी नोटों की छपाई भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ही करता है. वहीं 1 रुपये के नोट और सभी सिक्कों के बनाने की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय की ही होती है. 1 रुपये के नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं. वित्त मंत्रालय केवल आरबीआई के माध्यम से एक रुपये के नोटों और सिक्कों को अर्थव्यवस्था में प्रसारित करता है.
किसी भी सिक्के की 2 वैल्यू होती है. पहली "फेस वैल्यू" वहीं दूसरी "मेटलिक वैल्यू".
क्या है फेस वैल्यू: सिक्के पर लिखी गई रकम को को फेस वैल्य कहते है. जैसे अगर सिक्के पर 1, 2, 5, 10 या 20 लिखा है तो वह सिक्के की फेस वैल्यू है.
क्या है मेटलिक वैल्यू: इसका अर्थ है सिक्के के निर्माण में इस्तेमाल किए हुए धातु की मौद्रिक मूल्य. यानी आसान शब्दों में मेटलिक वैल्यू का अर्थ है कि अगर कोई सिक्का पिघलाया जाता है और उसकी धातु 5 रुपये में बाजार में बेची जाती है तो 5 रुपये को सिक्के को "मेटलिक वैल्यू" कहा जाएगा.
भारत में सिक्कों का आकार क्यों घटता जा रहा है? ये है वजह
सिक्कों को आकार इसलिए घटता जा रहा है क्योंकि भारत सरकार सिक्कों को बनाने में इस बात का खास ध्यान रखती है कि किसी सिक्के की मेटलिक वैल्यू उसकी फेस वैल्यू से कम ही होनी चाहिए
अगर ऐसा नहीं होता है, तो कोई भी सिक्के को पिघलाकर उसकी धातू बनाकर बेच सकता है. इसलिए भारत सरकार मार्केट में सिक्कों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सिक्के का आकार घटा रही है. साथ ही सिक्कों के निर्माण में सस्ती धातु का इस्तेमाल किया करती है.
कुछ समय पहले खबर आई थी कि बांग्लादेश में भारत के 2 और 5 रुपये के सिक्कों को पिघलाकर "ब्लेड" बनाए गए थे, जिन्हें 2 रुपये मे बेचा गया. बता दें, सिक्कों को धातू को पिघलाने की खबर आती रहती है. ऐसा दोबारा न हो, इसलिए मोदी सरकार सिक्कों को लेकर सावधानी बरत रही है.
Source - Aaj Tak