
आईएएस एक नौकरी या कॅरियर नहीं बल्कि ये एक सपना है. ईरा सिंघल उन होनहार लोगों में से एक हैं जिन्होंने शारीरिक रूप से दिव्यांग होते हुए भी 2014 में आईएएस परीक्षा में टॉप करके अपना सपना पूरा किया. इरा से जानिये यूपीएससी परीक्षा में रिटेन के बाद इंटरव्यू देने के वो सीक्रेट जो डिसेबल ही नहीं सामान्य लोगों के लिए भी जानना बहुत जरूरी है.
मेरठ में जन्मी इरा सिंघल उन लाखों लोगों के लिए नजीर हैं जो अपने सफल न हो पाने के पीछे बीमारी सहित तमाम बहाने बनाते हैं. लेकिन स्कोलियोसिस समस्या से जूझ रही इरा ने आईएएस परीक्षा में टॉप करके बता दिया कि सफलता किसी शारीरिक सक्षमता की मोहताज नहीं होती. इरा कहती हैं कि आप अगर आईएएस की तैयारी कर रहे हैं तो पहली बात ये जान लीजिए कि आप अपने आप को जैसा समझते हैं या दिखाना चाहते हैं, ठीक वैसा ही इंटरव्यूवर भी आपको भांप लेता है. यहां कुछ छुपा नहीं है इसलिए आईएएस इंटरव्यू के लिए कुछ सावधानियां जरूर बरतें.
इरा ने आजतक से बातचीत में कहा कि डिसेबल लोग अगर आईएएस की तैयारी कर रहे हैं तो उन्हें कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए. मसलन उन्हें कभी भी ये नहीं समझना चाहिए कि वो डिसेबल हैं, इसलिए उनसे इंटरव्यू में आसान या अलग सवाल पूछे जाएंगे.
सही बात तो ये है कि डिसेबल लोगों को तैयारी के दौरान ही अपने भीतर से ये कुंठित ग्रंथि निकाल देनी चाहिए कि वो इंटरव्यू में शरीर के आधार पर अपना इम्तिहान देने आए हैं, ये पूरा इम्तिहान इंसान के विवेक और मानसिक कौशल का होता है.
वह कहती हैं कि सिर्फ डिसेबल ही नहीं सामान्य उम्मीदवारों के लिए भी इंटरव्यू में ये बात ध्यान रखनी चाहिए कि वो मन से जैसा सोचते हैं, वैसा ही दिखते हैं. कोई भी इंसान शरीर से अक्षम होकर भी अगर मन से सक्षम है तो उसमें ही एक अच्छे एडमिनिस्ट्रेटर बनने के गुण हैं. वो बताती हैं कि उन्होंने कभी भी अपने आपको मन से कमजोर नहीं आंका, यही वजह भी थी वो टॉपर रहीं.
अपने बारे में वो बताती हैं कि मैंने चौथी कक्षा में थी तभी मैंने आईएएस बनने का सोचा था. मैं बचपन में जब सुनती थी कि फलां जगह डीएम ने कर्फ्यू लगाया, डीएम ने ये बदलाव किए तो मुझे हमेशा लगता था कि ये तो बहुत जिम्मेदारी वाला पद है, जो फैसले लेता है. मैंने कभी अपने को ऐसा नहीं माना कि मैं सामान्य इंसान से कहीं से भी कम हूं. मेरे मन में हमेशा आया कि मुझे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे लोगों की जिंदगी बेहतर कर सकूं. फिर वैसे ही मैंने तैयारी शुरू कर दी.
मैंने सिविल सर्विसेज देने की सोची और अपनी तैयारी से पहले ही अटेंप्ट में मेरा सेलेक्शन हो गया. लेकिन जब पता चला कि सर्विस एलॉटमेंट में मेरा नाम ही नहीं है. तब भी मुझे ज्यादा असर नहीं पड़ा, लेकिन मुझे ये सुनने में आया कि कई सारे मेरे जैसे पीडब्ल्यूडी (पर्सन विद डिसेबिलिटी) उम्मीदवार थे जिनका सर्विस एलॉटमेंट में नाम नहीं आया. बस, वहीं से मैंने सरकारी नौकरी में भेद पर लड़ाई लड़ी और उसमें मुझे जीत भी मिली.
वो कहती हैं कि डिसेबल उम्मीदवार हों या अन्य कोई, आईएएस की तैयारी करने वालों को सबसे पहले ये करना चाहिए कि वो अपने प्लान खुद बनाएं. हमें दूसरे के सपनों के बजाय अपने लिए प्लान बनाकर उन्हें पूरा करना चाहिए. हम दुनिया के सपने नहीं जी सकते. हमें तैयारी के दौरान ही नॉलेज के साथ-साथ खुद को समझना भी सीखना चाहिए.
Source - Aaj Tak