जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद लद्दाख को अलग कर एक नया केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है. जम्मू कश्मीर की तरह लद्दाख भी धार्मिक आस्था का केंद्र है. लद्दाख के उबड-खाबड़ इलाके में अनगिनत मठ आपको देखने को मिल जाएंगे क्योंकि यहां अधिकतर लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं. आइए आपको बताते हैं लद्दाख के सबसे चर्चित मठों के बारे में.
मुलबेख मठ-
श्रीनगर-लेह हाइवे से जाते हुए करगिल के बाद पहला स्टॉप मुलबेख मठ है. यह मठ हाइवे के ठीक किनारे एकखड़ी चट्टान पर बना हुआ है.
थिकसे मठ-
यह विशाल संरचना तिब्बत के पोटाला पैलेस के आधार पर बनाई गई है. इसे पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है जो करीब 12 मंजिल का है और लेह से करीब 19 किलोमीटर दूर है. यहां मैत्रेय की 49 फीट ऊंची मूर्ति लगी है जो लद्दाख में सबसे बड़ी है इसके अलावा बौद्ध अवशेष जैसे प्राचीन थंगका, टोपी, बड़ी तलवारें, पुराने स्तूप और भी बहुत कुछ यहां मौजूद है.
हेमिस मठ-
हेमिस मठ को लद्दाख में सबसे बड़े बौद्धिक संस्थान के रुप में जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसका अस्तित्व 11वीं सदी से पहले से है. यह जगह प्रसिद्ध हेमिस त्योहार की जगह भी है जो हर साल जून में मनाया जाता है.
लामायुरु मठ-
श्रीनगर-लेह हाइवे से लद्दाख की तरफ जा रहे पर्यटकों को लामायुरु मठ जरूर देखना चाहिए. यह लद्दाख के सबसे पुराने और सबसे बड़े मठ में से एक है.
फुकताल मठ-
लद्दाख की ऊंची-नीची पहाड़ियों में स्थित फुकताल मठ दूर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते जैसी लगती है. गुफाओं में छिपे इस मठ का इतिहास 2500 साल पुराना है. समुद्रतल से 4800 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित इस मठ में करीब 200 बौद्ध भिक्षु रहते हैं.
Source - Aaj Tak