जानिए होटल और रेस्टोरेंट्स में क्यों दिया जाता है फिंगर बाउल?

जानिए होटल और रेस्टोरेंट्स में क्यों दिया जाता है फिंगर बाउल?

क्या कहते हैं एटिकेट्ड

क्या है इस्तेमाल का सही तरीका पर्सनेलिटी ग्रूमिंग विशेषज्ञ की मानें तो खाने के एटीकेट्ड के हिसाब से फिंगर बाउल में अपना सारा हाथ डुबोने की बजाय सिर्फ अंगुल‍ियों को डुबोना चाह‍िए. वो भी बिना नींबू के टुकड़े या फूलों की पत्तियों को छुए. कई बार लोग फिंगर बाउल में अंगुलियों को डुबोकर नींबू को निचोड़ देते हैं. जो कि डाइनिंग एटिकेट्स के अनुसार सही नहीं है. बाउल में नींबू होने का ये कतई मतलब नहीं है कि आप उसे हाथ लगाकर निचोड़ लें.
कहां से आया फिंगर बाउल का कॉन्सेप्ट

दरअसल, फिंगर बाउल कॉन्सेफ्ट बहुत पुराना है. वहीं पुराने समय में रेस्टोरेंट मालिक फिंगर बाउल और लाइव म्‍यूजिक के जरिए एल‍िट क्‍लास कस्‍टमर्स को अट्रैक्ट करते थे. जबकि भी हमारे देश में कई जग‍ह खाने के बाद फिंगर बाउल को सर्व करने का रिवाज है. वहीं यूएस में ये प्रैक्टिस प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान ही खत्‍म हो चुकी है. अमेरिकी खाद्य प्रशासन ने रेस्तरां को अतिरिक्त चांदी, बोन चाइना और कांच के बने पदार्थों से दूर रहने की हिदायत दी थी.
हमारे यहां क्या हैं इसके मायने

वहीं अगर हम भारतीय ट्रेडिशन की बात करें तो बर्तनों में हाथ धोना हमारे यहां गलत माना जाता है. क्‍योंकि हमारे यहां बर्तन लक्ष्‍मी के प्रतीक माने जाते हैं. इसल‍िए गंदे हाथों का खाने की थाली या बर्तन में धोना हमारे यहां स‍ही नहीं माना जाता है. वहीं हमारे यहां अभी कई रेस्टोरेंट फिंगर बाउल सर्व करने के सिस्टम को फॉलो कर रहे हैं. जबकि कुछ होटल्स और रेस्टोरेंट्स ने खुशबू वाले धुले और गीले हैंड नैपकिंस या टॉवल देते हैं.
Source - Pakwan Gali