सीबीआई ने विदेशी फंडिंग के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर के घर छापेमारी की है. उनके फाउंडेशन 'लॉयर्स कलेक्टिव' पर विदेशी चंदा विनियमन कानून (FCRA) को तोड़ने का आरोप है. इस मामले में सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है और गृह मंत्रालय ने फाउंडेशन का लाइसेंस रद्द कर दिया है. आइए आपको बताते हैं कौन हैं इंदिरा जयसिंह.
भारत की मशहूर वकील इंदिरा जयसिंह की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2018 में फॉर्च्यून मैगजीन ने दुनिया के टॉप 50 लीडर्स में इन्हें 20वां स्थान दिया था. लॉयर्स कलेक्टिव उनका एनजीओ है. इसकी स्थापना इंदिरा जयसिंह ने अपने पति आनंद ग्रोवर के साथ 1981 में की थी. इस एनजीओ का फोकस महिला अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ना था. 1986 में इंदिरा जयसिंह बॉम्बे हाईकोर्ट की पहली सीनियर एडवोकेट बनीं. साथ ही 2009 में जयसिंह को भारत की पहली महिला अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
केपीएस गिल यौन उत्पीड़न मामले में रुपन देओल को दिलाया न्याय
इंदिरा जयसिंह का जन्म मुंबई में एक सिंधी हिंदू परिवार में हुआ था. उन्होंने बैंगलोर यूनिवर्सिटी से बीए और 1962 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री हासिल की. इंदिरा ने अपने करियर की शुरुआत से ही मानवाधिकार और महिला अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने केरल में रहने वाली क्रिस्चियन महिलाओं को प्रॉपर्टी का अधिकार दिलाए. इंदिरा ने रुपन देओल बजाज के लिए भी लड़ाई लड़ी. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रुपने देओल बजाज ने 1988 में पंजाब के तत्कालीन डीजीपी केपीएस गिल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. 17 साल की लंबी लड़ाई के बाद इस केस में इंदिरा जयसिंह ने रुपन को जीत दिलाई और केपीएस गिल को यौन उत्पीड़न का दोषी पाया गया.
भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों के लिए लड़ीं
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए इंदिरा जयसिंह ने लड़ाई लड़ी. उन्होंने फुटपाथ पर सोने वाले गरीबों को अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन से मुआवजा दिलाने के लिए केस लड़ा. गौरतलब है कि 2 दिसंबर 1984 में भोपाल में भीषण गैस त्रासदी हुई थी. 2 दिसंबर की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से 30 टन जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट निकलने लगी थी. इस घटना में हजारों लोगों की जान चली गई थी. गैस के बादल को हवा के झोकों ने पूरे शहर में फैला दिया था और सोते-सोत हजारों लोग मौत की आगोश में समा गए थे. इनमें कई मृतकों के गरीब परिवार के लिए इंदिरा जयसिंह ने मुआवजा दिलाने की लड़ाई लड़ी.
जब सुप्रीम कोर्ट में अटार्नी जनरल से हो गईं नाराज
एक बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी. इस दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इंदिरा जयसिंह को आनंद ग्रोवर की पत्नी कह दिया. इस पर इंदिरा को गुस्सा आ गया और उन्होंने इस पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि मेरी निजी हैसियत है और मैं किसी की पत्नी नहीं हूं. यह वाकया न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की खंडपीठ के सामने एक सुनवाई के दौरान हुआ था. जज अरुण मिश्रा ने आनंद ग्रोवर से पूछा था कि इस मामले में आप किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इस पर ग्रोवर ने जवाब दिया कि श्रीमति जयसिंह का. इस बीच अदालत में मौजूद अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि ग्रोवर को कहना चाहिए पत्नी के लिए. इस पर जयसिंह ने एतराज जताया और कहा कि अटार्नी जनरल आप अपनी टिप्पणी वापस लीजिए, मेरी अपनी निजी हैसियत है.
Source - Aaj Tak