ISRO ने हमें क्या दिया? जानें- सैटेलाइट से हमें क्या होता है फायदा



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 15 जुलाई को Chandrayaan-2 लॉन्च करने वाला है. लेकिन क्या आपको पता है कि पृथ्वी के चारों तरफ कितने सैटेलाइट हैं. उनमें से कितने भारत ने भेजे हैं. यूनाइटेड नेशंस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स (UNOOSA) के अनुसार 1957 में पहले सैटेलाइट स्पूतनिक के लॉन्च के बाद से 2018 तक पृथ्वी के चारों तरफ कुल 8,378 उपग्रह भेजे गए. अभी 4,994 सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे हैं. जबकि, इनमें सिर्फ 1957 उपग्रह काम कर रहे हैं. यानी 40 फीसदी से कम उपग्रह ही काम कर रहे हैं. इनमें से सिर्फ 7 सैटेलाइट ऐसे हैं जो दूसरे ग्रहों के चारों तरफ चक्कर लगा रहे हैं. जबकि, 2 छोटे उपग्रहों को भी लॉन्च किया गया है.

पर क्या आपको पता है कि इसरो ने अब तक कितने सैटेलाइट छोड़े हैं. इनमें कितने देसी और कितने विदेशी हैं. कितने स्टूडेंट्स ने बनाए हैं और कितने रॉकेट सफल हुए हैं. किस मिशन में असफलता मिली. आइए... जानते हैं कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अब तक कितने सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़े हैं और वे कितने प्रकार के हैं.

ISRO ने अब तक छोड़े 370 उपग्रह

इसरो ने अब तक अंतरिक्ष में कुल 370 उपग्रह छोड़े हैं. इनमें 101 देसी और 269 विदेशी सैटेलाइट हैं. मून मिशन चंद्रयान-2 अगर सफल होता है इनकी संख्या बढ़कर 371 हो जाएगी. इसरो ने देश के लिए कुल 101 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं. जिनमें संचार, आपदा प्रबंधन, इंटरनेट, रक्षा, मौसम, शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों को सेवाएं देने वाले उपग्रह हैं.

41 संचार उपग्रह जिन्होंने लोगों की दूरियां कम कर दीं

आजादी के बाद किसी को क्या पता था कि देश में संचार माध्यम तेजी से बढ़ेंगे. इसरो के वैज्ञानिकों में आजादी के बाद से अब तक संचार व्यवस्था को लेकर 41 उपग्रह छोड़े. जिनमें से अभी 15 काम कर रहे हैं. ये 15 सैटेलाइट हैं- INSAT-3A, 3C, 4A, 4B, 4CR और इसी प्रणाली के अंदर आने वाले GSAT-6, 7, 8, 9, 10, 12, 14, 15, 16 और 18. ये सभी सैटेलाइट 200 ट्रांसपोंडर्स की मदद से टेलीफोन, मोबाइल, टीवी, समाचार, आपदा प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान जैसे कार्यों में मदद कर रहे हैं. संचार उपग्रहों की लॉन्चिंग और कार्यप्रणाली को लेकर अब तक इसरो वैज्ञानिकों को सिर्फ 6 असफलताएं ही मिली हैं.

36 अर्थ ऑब्जरवेशन उपग्रह जिन्होंने ढांचागत विकास और रक्षा में मदद की

1988 में पहला अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट छोड़ा गया था. तब से लेकर अब तक 36 अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़े गए. इनमें से 17 अभी भारत की निगरानी कर रहे हैं. इनमें शामिल हैं - रिसोर्ससेट-1, 2, 2ए, कार्टोसेट-1, 2, 2ए, 2बी, रीसेट-1 और 2, ओशनसेट-2, मेघाट्रॉपिक्स, सरल, स्कैटसेट-1, इनसेट-3डी, कल्पना, इनसेट-3ए, इनसेट-3डीआर. ये सभी उपग्रह कृषि विकास, शहरी और ग्रामीण विकास की योजनाओं, जलस्रोत, खनिज संपदा, पर्यावरण, जंगल और आपदा प्रबंधन में मदद करते हैं. इनमें से रीसेट और कार्टोसेट सैटेलाइट्स का उपयोग पाकिस्तान में मौजूद आंतकियों पर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के लिए किया गया था. 36 मिशन में से सिर्फ 2 मिशन ही फेल हुए.

10 उपग्रह जो बच्चों ने बनाए, इसरो ने छोड़े

स्टूडेंट्स, यूनिवर्सिटी, कॉलेज द्वारा बनाए गए सैटेलाइट को इसरो छोड़ता है ताकि बच्चों का विज्ञान के प्रति रुझान बढ़ सके. 2009 से अब तक ऐसे 10 उपग्रह छोड़े गए हैं, इनमें से एक भी फेल नहीं हुआ. ये हैं - अनुसेट, स्टडसेट, जुगनू, एसआरएमसेट, स्वयंम, सत्यबामासेट, पीसेट, प्रथम, एनआईयूसेट और कलामसेट-वी2.

9 नेविगेशन उपग्रह, जो दिखा रहे हैं नए भारत को रास्ता

इसरो ने देश की सेना, नौसेना, वायुसेना, कार्गो सुविधाओं, पानी के जहाजों, छोटे नाविकों, नागरिक विमानन के लिए गगन और आईआरएनएसएस-नाविक जैसे नेविगेशन उपग्रह प्रणाली विकसित कर लॉन्च कर चुकी है. गगन प्रणाली की सुविधाएं जीसेट-8 और जीसेट-10 के ट्रांसपोंडर्स के जरिए ली जा रही हैं. वहीं, आईआरएनएसएस-नाविक के 8 सैटेलाइट काम कर रहे हैं. ये हैं- IRNSS-1A, 1B, 1C, 1D, 1E, 1F, 1G और 1I. 

8 प्रायोगिक उपग्रह ताकि नई जानकारियां निकाली जा सकें

इसरो वैज्ञानिक रिमोट सेंसिंग, वातावरणीय, पेलोड डेवलपमेंट, रिकवरी टेक्नोलॉजी समेत कई आयामों पर अध्ययन करने के लिए प्रायोगिक उपग्रह लॉन्च किए हैं. इनमें शामिल हैं - भारता का पहला उपग्रह आर्यभट्ट, रोहिणी (फेल हो गया था), रोहिणी RS-1, एपल, यूथसेट, आईएनएस-1बी, आईएनएस-1ए और आईएनएस-1सी.

7 सैटेलाइट जो सुदूर ग्रहों के अध्ययन के लिए छोड़े गए

इसरो के वैज्ञानिकों ने 1987 से अब तक सुदूर ग्रहों के अध्ययन के लिए 7 उपग्रह लॉन्च किए हैं. शुरुआती चार उपग्रह प्रायोगिक थे. इसके बाद 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 लॉन्च किया गया. 2013 में मंगलयान और 2015 में एस्ट्रोसेट का प्रक्षेपण किया गया. 1987 से अब तक सिर्फ एक लॉन्चिंग ही फेल हुई थी. उसके बाद से एक भी नहीं. 

Source - Aaj Tak