क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप उपवास रखते हैं तो उस दौरान आपके शरीर में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं? नहीं ना. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि व्रत रखने या कुछ घंटों तक भोजन नहीं करने पर हमारा शरीर किस तरह रिएक्ट करता है और इसके क्या फायदे हैं?
शुगर ब्रेकडाउन
आमतौर उपवास के पहले कुछ घंटे बेहद सामान्य होते हैं. उस दौरान हमारा शरीर सामान्य प्रक्रिया दोहराते हुए ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ग्लाइकोजेन को ब्रेक करके ग्लूकोज़ रिलीज़ करता है. इस ग्लूकोज़ का 25 फ़ीसदी इस्तेमाल मस्तिष्क करता है और बचे हुए ग्लूकोज़ का प्रयोग लाल रक्त कोशिकाएं और मांसपेशियां करती हैं.
कीटोसिस
उपवास के 5-6 घंटे बाद हमारा शरीर कीटोसिस लेवल पर पहुंच जाता है. यह एक प्रकार का मेटाबॉलिक स्टेट है. इस दौरान हमारा शरीर रक्त में मौजूद कीटोन बॉडीज़ से ऊर्जा प्राप्त करता है. कीटोन बॉडीज़ वॉटर-सॉल्यूबल मॉलिक्यूल्स हैं. जब हम खाना नहीं खाते या बहुत कम खाते हैं तो उस दौरान हमारा लिवर इनका उत्पादन करता है. यह चर्बी गलने की प्रक्रिया है. इस दौरान असली उपवास शुरू होता है और वज़न कम होने की प्रक्रिया भी. कीटोजेनिक डायट का पालन करके भी आप इस स्थिति तक पहुंच सकते हैं.
कोलेस्ट्रॉल और यूरिक एसिड की सफ़ाई
कीटोसिस प्रक्रिया के दौरान शरीर में बहुत-सी दूसरी चीज़ें भी होती हैं. इस दौरान शरीर डिटॉक्स होता है और हमारा शरीर रक्तमें कोलेस्ट्रॉल और यूरिक एसिड रिलीज़ करता है. इस दौरान व्यक्ति को सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द व स्किन रैश जैसी समस्याएं होती हैं. यह प्रक्रिया ख़त्म होते-होते दर्द कम हो जाता है और ब्लड प्रेशर भी घट जाता है. कहने का अर्थ है कि इस स्टेज में शरीर की आंतरिक सफ़ाई होती है और कोलेस्ट्रॉल लेवल कम हो जाता है.
पाचन तंत्र को आराम मिलता है
चूंकि हम कुछ नहीं खाते या बहुत कम खाना खाते हैं, इसलिए हमारे पाचन तंत्र को आराम मिलता है. चूंकि पाचन प्रक्रिया को पूरा होने में समय लगता है, इसलिए उपवास के दौरान भी यह पूरी तरह रुकता नहीं है.
इमोशनल डिटॉक्स
छह घंटे उपवास करने के बाद हमें सामान्यतः भूख लगनी शुरू हो जाती है, जिसके कारण ग़ुस्सा, थकान, मायूसी इत्यादि भावनाएं हावी होने लगती हैं. इन भावनाओं पर क़ाबू करना ज़रूरी है. बेहतर होगा कि इस दौरान अपना ग़ुस्सा किसी दूसरे पर न निकालें और बार-बार खाने पर ध्यान लगाने की बजाय मेडिटेशन करें. कोई ऐसी एक्टिविटी न करें, जिसमें ज़्यादा मेहनत लगती हो.
उपवास के प्रकार
इंटर्मिटेंट (अनिरंतर) फास्टिंगः इस तरह का उपवास वज़न कम करने की कोशिश में जुटे लोग करते हैं. इसमें दिनभर में कुछ घंटों के लिए खाने की अनुमति होती है और बाकी बचे हुए समय में व्रत रखना पड़ता है. इससे हम कम कैलोरीज़ ग्रहण करते हैं और फालतू में दिनभर मुंह चलाने से बच जाते हैं.
प्रोलॉन्ग्ड फास्टिंगः इस प्रकार के उपवास में स़िर्फ जूस या पानी पीने की अनुमति होती है, लेकिन इसे करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें, ताकि आपको पता चल सके कि आपका शरीर इतने ज़्यादा समय तक भूखे रहने की स्थिति में है या नहीं और यह आपके लिए कितना सुरक्षित है.
Source - Meri Saheli