इंजीनियरिंग के इन फील्ड में भी हैं शानदार मौके, मिलेगी मोटी सैलरी

कई वर्षों से इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बदलाव देखने को मिल रहा है. वहीं हम आपको बताने जा रहे हैं कि मेकैनिकल, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर इंजीनियर्स की बजाय इंजीनियरिंग के अन्य फील्ड में कोर्स करके आसानी से नौकरी हासिल कर सकते हैं. आइए जानते हैं उन कोर्सेज के बारे में.

एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (Aeronautical Engineering)

एरोनॉटिकल इंजीनियर्स एयरक्राफ्ट और फ्लाइट सिस्टम बनाने और डिजाइन करने का काम करते हैं. यह नॉन-टेरेसट्रियल ब्रांच है. ये इंजीनियर प्लेन और हेलिकॉप्टर जैसे एयरक्राफ्ट बनाते हैं और एयरक्राफ्ट फंक्शन में भी मदद करते हैं. इसके लिए कई इंजीनियरिंग कॉलेज कोर्स भी करवा रहे हैं और नौकरी के भी अच्छे अवसर पैदा हो रहे हैं.

रोबोटिक्स इंजीनियरिंग (Robotics Engineering)

यह एक ऑटोमैटिक मेकैनिकल डिवाइस है, जो कंप्यूटर प्रोग्राम या इलेक्ट्रॉनिक मशीनों की मदद से वो काम करता है जिसे आप असाइन करते हैं. यह एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें सेंसर्स, कंट्रोल सिस्टम, मेनुपुलेटर्स, पावर सप्लाई और सॉफ्टवेयर से जुड़ी सभी चीजें होती हैं.

रोबोटिक्स में अगर स्टडी की बात करें तो यह मेकैनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस का एक हिस्सा होता है. इन इंजीनियरिंग के ब्रांच में रोबॉट के डिजाइन, कंस्ट्रक्शन, पावर सप्लाई, इन्फॉर्मेशन प्रोसेसिंग और सॉफ्टवेयर पर काम होता है. इस फील्ड में स्टूडेंट को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्यूटर एडेड मैन्युफैक्चरिंग, कंप्यूटर, इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम, कंप्यूटर ज्योमेट्री, रोबॉट मोशन प्लानिंग, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स और माइक्रो प्रोसेसिंग में ट्रेन किया जाता है.

नैनो-टेक्नोलॉजी (Nanotechnology)

ग्लोबल इन्फॉर्मेशन इंक की रिसर्च के मुताबिक, 2018 तक नैनो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के 3.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. नैस्कॉम के मुताबिक 2015 तक इसका कारोबार 180 अरब डॉलर से बढ़कर 890 अरब डॉलर हो जाएगा. ऐसे में इस फील्ड में 10 लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी. नैनो टेक्‍नोलॉजी में इंजीनियरिंग करके इस क्षेत्र में शानदार करियर बनाया जा सकता है.

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग ( Petroleum Engineering)

पेट्रोलियम भंडार को न्यूनतम नुकसान पहुंचाते हुए उसे उपयोगी बनाने और पेट्रोलियम भंडार को धरती के नीचे से सुरक्षित धरातल पर लाना ही पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का मूल मकसद होता है. ऊर्जा के क्षेत्र में नए आविष्कार, विस्तार और प्रयोग का मिला-जुला रूप ही पेट्रोलियम इंजीनियरिंग कहलाता है. साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास करने के बाद पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की जा सकती है. इस कोर्स में बीटेक, एमटेक और एमएससी की डिग्री भी हासिल हो सकती है. पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काफी रिसर्च होने से इसमें रिसर्च करने के विकल्प हमेशा खुले हुए हैं.

कैमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering)

कैमिकल पदार्थों की बढ़ती मात्रा एवं भागीदारी के चलते इसमें रोजगार की संभावना तेजी से बढ़ रही है. इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स कैमिकल इंजीनियर्स होते हैं. कैमिकल इंजीनियर का कार्य केवल डिजाइन एवं मेंटेनेंस तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई परिस्थितियों में उन्हें कॉस्ट कटिंग एवं प्रोडक्शन सरीखे कार्यों को भी अंजाम देना पड़ता है. इसमें कई कोर्स होते हैं, जिसमें डिप्लोमा इन कैमिकल इंजीनियरिंग, बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन कैमिकल इंजीनियरिंग आदि शामिल है