वैज्ञानिकों का कहना है कि हल्दी के एक कंपाउंड के इस्तेमाल से कैंसर सेल्स का खात्मा हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, हल्दी से निकाले गए करक्यूमिन को कैंसर सेल्स को खत्म करने में प्रभावी पाया गया है। अमेरिका की इलिनॉयस यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर दीपांजन पैन ने कहा, करक्यूमिन का पूरी तरह लाभ नहीं मिल सकता है क्योंकि यह पानी में पूरी तरह घुलनशील नहीं होता है।
अगर आप कोई दवा देना चाहते हैं तो उसे घुलनशील होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर दवा रक्त में प्रवाहित नहीं हो सकती। इसे ध्यान में रखकर शोधकर्ताओं ने प्लैटिनम के उपयोग से एक मेटालोसाइक्लिक कांप्लेक्स तैयार किया। इससे करक्यूमिन घुलनशील बन जाता है। अध्ययन में यह तरीका कई तरह के कैंसर के इलाज में 100 गुना ज्यादा प्रभावी पाया गया। इससे त्वचा कैंसर के सबसे घातक प्रकार मेलेनोमा और स्तन कैंसर की कोशिकाओं को भी खत्म किया जा सकता है।
अल्जाइमर के खतरे को कम कर सकती है हल्दी
गुणों से भरपूर हल्दी की एक और खूबी सामने आई है। नए शोध का दावा है कि भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्दी से बढ़ती उम्र में स्मृति को बेहतर करने के साथ ही भूलने की बीमारी अल्जाइमर के खतरे को कम किया जा सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया पीड़ितों के मस्तिष्क पर करक्यूमिन सप्लीमेंट के प्रभाव पर गौर किया। करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला एक रासायनिक कंपाउंड है। पूर्व के अध्ययनों में इस कंपाउंड के सूजन रोधी और एंटीआक्सीडेंट गुणों का पता चला था। संभवत: यही कारण है कि भारत के बुजुर्गों में अल्जाइमर की समस्या कम पाई जाती है।
वैज्ञानिकों को हल्दी में ग्लूकोमा के इलाज की नई उम्मीद दिखी है। उन्होंने अध्ययन में पाया है कि हल्दी के एक कंपाउंड के इस्तेमाल से तैयार आई ड्रॉप से ग्लूकोमा का प्रारंभिक अवस्था में उपचार किया जा सकता है। यह समस्या दृष्टिहीनता की बड़ी वजह है। इस नेत्र रोग से दुनियाभर में छह करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हैं।
ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के अनुसार, हल्दी से निकाले गए करक्यूमिन से तैयार आई ड्रॉप को आंख में डालने पर पाया गया कि इससे रेटिनल सेल्स को होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है। यह ग्लूकोमा की प्रारंभिक निशानी मानी जाती है। यह निष्कर्ष चूहों पर किए गए परीक्षण के आधार पर निकाला गया है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की प्रोफेसर फ्रांसिस्का कॉर्डेरो ने कहा, करक्यूमिन कंपाउंड में संभावना दिखी है। इससे लाखों लोगों को मदद मिल सकती है।
याददाश्त और मूड को हेल्दी है हल्दी
अच्छा खाना शरीर के साथ मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखता है। साथ ही खाने में मिलाए जाने वाले मसाले भी अपनी-अपनी तरह से शरीर को लाभ पहुंचाते हैं। ऐसा ही एक मसाला है हल्दी, जो खाने का रंग बदलने के साथ ही हमारे मन और मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव डालता है। एक नवीन अध्ययन में सामने आया है कि नियमित रूप से खाने में हल्दी का सेवन करने से हमारी याददाश्त बढ़ती है और मूड भी अच्छा होता है।
इससे पहले के अध्ययनों में हल्दी के कई गुण पहले ही सामने आ चुके हैं। पुराने अध्ययनों में जाहिर हो चुका है कि हल्दी में एंटी ऑक्सीटेंड और एंटी इंफ्लैमेट्री के गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा भारत के वरिष्ठ नागरिक तो पहले से ही इसके सेवन को महत्व देते आ रहे हैं। यहां के आहार में इसे प्रमुख रूप से शामिल किया जाता है।
आयुर्वेद में पीलिया के इलाज में रामबाण है हल्दी
पीलिया की बीमारी में शरीर का रंग पीला हो जाने के कारण अज्ञानतावश लोग हल्दी का प्रयोग बंद कर देते हैं। शायद उन्हें यह नहीं पता कि हर घर की रसोई में विद्यमान सहज-सुलभ हल्दी पीलिया के इलाज में आयुर्वेद की दृष्टि में रामबाण है। पीलिया में हल्दी को कई प्रकार से प्रयोग में ला सकते हैं। वहीं पीलिया में मट्ठा के साथ हल्दी का प्रयोग लाभकारी होता है।
Source - Jagran