गुंडप्पा विश्वनाथ : जिसके साथ हुए टॉस को पाकिस्तानी कैप्टन ने फ़िक्स किया था


गुंडप्पा की एक खासियत थी. इनके शॉट्स अक्सर न कट की केटेगरी में आते थे न ड्राइव के. आधे कट और आधे ड्राइव. लेग साइड पर उनके फ्लिक्स खतरनाक होते थे. फ़ाइन खेला गया लेट कट जिसमें गेंद विकेट के पीछे पहुंचती थी, उनका होलोग्राम था. अंधा भी बता सकता था कि ये शॉट गुंडप्पा ने मारा है. वो जितना जुझारू तरीके से खेल रहे होते थे, उतना ही गेम को एन्जॉय करते दिखते थे.

बेहद शांत, विनम्र और संकोची इंसान. कंट्रोवर्सी से दूरी बना के रखने वाला. उनका सबसे अच्छा दोस्त था सुनील गावस्कर. ये दोनों असल में दोस्त ही नहीं रिश्तेदार भी थे. गुंडप्पा की शादी सुनील गावस्कर की बहन से हुई थी. गावस्कर, गुंडप्पा से ज़्यादा फ़ेमस थे. गावस्कर ज़्यादा हंड्रेड मार रहे थे. गावस्कर ज़्यादा रन बना रहे थे.
बॉब टेलर को वापस बुलाने का फ़ैसला:

गुंडप्पा को अक्सर याद किया जाता है उनके एक फैसले की वजह से. 1980 में इंग्लैंड के खिलाफ़ बॉम्बे में खेले जा रहे टेस्ट मैच में कप्तान के तौर पर उनका एक फ़ैसला हर किसी के बीच डिस्कस किया जा रहा था. ‘जुबली टेस्ट’. बॉब टेलर बैटिंग पर थे. गेंद थी कपिल देव के हाथ में. कपिल की एक तेज़ गेंद बॉब के बल्ले के पास गयी और तेज़ आवाज़ आई. सभी ने अपील की और अम्पायर हनुमंत राव ने बॉब को आउट डिक्लेयर कर दिया.

गुंडप्पा जहां खड़े थे वहां से उन्हें साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था कि गेंद टेलर के बल्ले से नहीं बल्कि पैड से लगकर गई थी. गुंडप्पा ने टेलर से पूछा कि क्या गेंद टेलर के बैट से लगी थी? टेलर का जवाब सुनकर गुंडप्पा ने अम्पायर से उसे वापस बुला लेने को कहा. अम्पायर ने टेलर को वापस बुला लिया. टेलर ने इसके बाद बैटिंग की और इयान बॉथम के साथ 171 रन की पार्टनरशिप बनाई.

इंडिया वो मैच 10 विकेट से हार गया. बॉब टेलर ने उस मैच में 10 कैच लिए. ये उस वक़्त का वर्ल्ड रिकॉर्ड था. इयान बॉथम ने कुल 13 विकेट लिए और 114 रन बनाये.

पाकिस्तान के खिलाफ़ शक से भरा टॉस – 

विशु के संकोची स्वाभाव और कंट्रोवर्सी से दूर रहने की आदत उस वक़्त भी सामने आई जब तहलका टेप्स सामने आये.टेप्स में दिखता है कि मनोज प्रभाकर किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर नरोत्तम पुरी से मिलते हैं. नरोत्तम पुरी बहुत ही सीनियर क्रिकेट जर्नलिस्ट थे और दूरदर्शन कमेंट्री के जाने-माने नाम थे. टेप्स में पुरी, मनोज प्रभाकर को जो बताते दिखते हैं उसमें एक सन्न कर देने वाली बात मालूम चलती है. उस कहानी के हिसाब से आसिफ़ इकबाल ने 1979 में कलकत्ता टेस्ट में टॉस के वक़्त बोला ‘टेल्स’. सिक्का नीचे गिरा और सिक्के पर आया टेल्स. इस हिसाब से टॉस पाकिस्तान ही जीता था. लेकिन आसिफ़ ने विश्वनाथ से हाथ मिलाया और बोला, “कांग्रैट्स विशी.”'

उस टॉस के ठीक बाद नरोत्तम पुरी ने दोनों कैप्टंस का इंटरव्यू लिया तो विश्वनाथ ने ये बात उन्हें बताई. उन्होंने कहा, “यार मेरी आंखें मुझे लगता है कि ठीक हैं. मुझे सच में नहीं लगता कि टॉस किसने जीता है.” उस दिन से ये बात भी फैलने लगी कि टॉस भी फ़िक्स होते हैं. विश्वनाथ बेहद संकोची थे इसलिए मैदान पर कुछ भी खुलकर नहीं कहा.

गुंडप्पा विश्वनाथ आज के क्रिकेट में कहीं भी फ़िट नहीं बैठते. आज के क्रिकेट में जहां विकेट के ठीक आगे से गेंद को उछाल के ठीक पीछे छक्का मार देते हैं, वहां गुंडप्पा की कलाइयों की करामात फिट नहीं ही बैठती. तब क्रिकेट इस कदर कमर्शियल नहीं होता था जितना आज है. आज उन्हेंन टीवी के सामने आने में अजब कोफ़्त होती. और ये उनके खेल पर असर ज़रूर डालती. आज न उनका साथी गावस्कर होता न वो बिना चकाचौंध का क्रिकेट.

Source - The Lallan Top