मासिक धर्म / पीरियड्स (Menstrual Cycle or MC)
माहवारी (पीरियड्स) का चक्र
मासिक धर्म की शुरूआत
मासिक धर्म की शुरूआत सभी लड़कियों को होती है परन्तु सबको एक ही उम्र में नहीं होती है। ये 8 से लेकर 17 वर्ष के उम्र तक हो सकता हैं. कुछ विकसित देशों में, लड़कियों को 12 या 13 साल की उम्र में पहला मासिक-धर्म होती है। मगर कुछ लड़कियों को जल्दी यानी 8 साल की उम्र में, या फिर देर से यानी 16 या 17 साल में पहला मासिक-धर्म शुरू हो सकता है। दरअसल, एक लड़की को किस उम्र में मासिक-धर्म होगा, यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे उसके जीन्स की रचना, उसकी ऊँचाई, उसके परिवार की आर्थिक हालत, खान-पान, वह किस तरह का काम करती है और वह जिस जगह पर रहती है आदि बातो पर निर्भर करता है ।
मासिक धर्म की शुरूआत के पहले के लक्षण
मासिक धर्म की शुरूआत के पहले शरीर में होनेवाले बदलाव मासिक-धर्म के शुरू होने के संकेत देते हैं। हार्मोन के बदलाव / बढ़ने की वजह से लड़कियों के शरीर में अंदर-ही-अंदर उसमें बदलाव होने शुरू हो जाता है। इस दौरान लड़कियों शारीरिक बदलाव दिखाई देने लगता है जैसा की जवानी की शुरूआत में होता है, जैसे स्तन का बढ़ना और शरीर में ज़्यादा बाल आना आदि । ज़्यादातर लड़कियों का पहला मासिक-धर्म शुरू होने से ठीक पहले, उनका कद और वज़न अचानक बढ़ जाता है।
मासिक धर्म प्रक्रिया
मासिक धर्म की शुरूआत होने से लड़की के अंडाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है और वह माहवारी का रूधिर स्राव बन जाता है, जो कि योनि द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। जिस दौरान रूधिर स्राव होता रहता है उसे माहवारी अवधि/पीरियड कहते हैं। इसी स्राव को मासिक धर्म, पीरियड्स या रजोधर्म या माहवारी (Menstrual Cycle or MC) भी कहते हैं। औरत के प्रजनन अंगों में होने वाले बदलावों के आवर्तन चक्र को माहवारी चक्र कहते हैं। यह हॉरमोन तन्त्र के नियन्त्रण में रहता है एवं प्रजनन के लिए जरूरी है।
मासिक धर्म के समयकाल
माहवारी चक्र की गिनती रूधिर स्राव के पहले दिन से की जाती है क्योंकि रजोधर्म प्रारम्भ का हॉरमोन चक्र से घनिष्ट तालमेल रहता है। माहवारी का रूधिर स्राव हर महीने में एक बार 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर होता है।
माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार। हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है।
पीरियड्स से पहले की स्थिति के क्या लक्षण हैं?
माहवारी होने से पहले (पीएमएस) के लक्षणों का नाता माहवारी चक्र से ही होता है। सामान्यतः ये लक्षण माहवारी शुरू होने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो जाते हैं। माहवारी शुरू हो जाने पर सामान्यतः लक्षण बन्द हो जाते हैं या फिर कुछ समय बाद बन्द हो जाते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द, पैरों में सूजन, पीठ दर्द, पेट में मरोड़, स्तनों का ढीलापन अथवा फूल जाने की अनुभूति होती है।
पीरियड्स सम्बन्धी समस्याएं
पीड़ा दायक पीरियड्स में निचले उदर में ऐंठनभरी पीड़ा होती है। किसी औरत को तेज दर्द हो सकता है जो आता और जाता है या मन्द चुभने वाला दर्द हो सकता है। इन से पीठ में दर्द हो सकता है। दर्द कई दिन पहले भी शुरू हो सकता है और माहवारी के एकदम पहले भी हो सकता है। माहवारी का रक्त स्राव कम होते ही सामान्यतः यह खत्म हो जाता है।पीड़ादायक पीरियड्स का आप घर पर क्या उपचार कर सकते हैं?
उपचार
निम्नलिखित उपचार हो सकता है
(1) अपने उदर के निचले भाग (नाभि से नीचे) गर्म सेक करें। ध्यान रखें कि सेंकने वाले पैड को रखे-रखे सो मत जाएं।
(2) गर्म जल से स्नान करें।
(3) गर्म पेय ही पियें।
(4) निचले उदर के आसपास अपनी अंगुलियों के पोरों से गोल गोल हल्की मालिश करें।
(5) सैर करें या नियमित रूप से व्यायाम करें और उसमें श्रोणी को घुमाने वाले व्यायाम भी करें।
(6) साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस से भरपूर आहार लें पर उसमें नमक, चीनी, मदिरा एवं कैफीन की मात्रा कम हो।
(7) हल्के परन्तु थोड़े-थोड़े अन्तराल पर भोजन करें।
(8) ध्यान अथवा योग जैसी विश्राम परक तकनीकों का प्रयोग करें।
(9) नीचे लेटने पर अपनी टांगे ऊंची करके रखें या घुटनों को मोड़कर किसी एक ओर सोयें।
पीड़ादायक पीरियड्स के लिए डाक्टर से कब परामर्श लेना चाहिए?
यदि स्व-उपचार से लगातार तीन महीने में दर्द ठीक न हो या रक्त के बड़े-बड़े थक्के निकलते हों तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यदि माहवारी होने के पांच से अधिक दिन पहले से दर्द होने लगे और माहवारी के बाद भी होती रहे तब भी डाक्टर के पास जाना जाहिए।
पी.एम.एस. (पीरियड्स से पहले बीमारी) के कारण क्या हैं?
PMS (पोस्ट मैनुस्ट्रल सिंड्रोम) इस बात का संकेत होता है कि महिलायें अपने नए मासिक चक्र के लिए तैयार हैं. इस अवधि में महिलाओं को कई प्रकार की शारीरिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है जैसे की पेट में दर्द, ऐंठन, स्तनों में भयानक तनाव, सिर दर्द और बदन दर्द जैसी समस्या होने लगती है.
पी.एम.एस. का कारण जाना नहीं जा सका है। यह अधिकतर 20 से 40 वर्षों की औरतों में होता है, एक बच्चे की मां या जिनके परिवार में कभी कोई दबाव में रहा हो, या पहले बच्चे के होने के बाद दबाव के कारण कोई महिला बीमार रही हो- उन्हें होता है।
पी.एम.एस (पीरियड्स के पहले की बीमारी) का इलाज
पी.एम.एस के स्व- उपचार में शामिल है-
(1) नियमित व्यायाम – प्रतिदिन 20 मिनट से आधे घंटे तक, जिसमें तेज चलना और साईकिल आदि
(2) खाने में साबुत अनाज, सब्जियों और फलों को बढ़ाने तथा नमक, चीनी एवं कॉफी को घटाने या बिल्कुल बन्द करने से लाभ हो सकता है।
(3) दैनिक डायरी बनायें या रोज का रिकार्ड रखें कि लक्षण कैसे थे, कितने तेज थे और कितनी देर तक रहे। लक्षणों की डायरी कम से कम तीन महीने तक रखें। इससे डाक्टर को न केवल सही निदान ढ़ंढने में मदद मिलेगी, उपचार की उचित विधि बताने में भी सहायता मिलेगी।
(4) उचित विश्राम भी महत्वपूर्ण है।
पीरियड्स के स्राव को कब भारी (Heavy) माना जाता है?
यदि लगातार छह घन्टे तक हर घंटे सैनेटरी पैड स्राव को सोख कर भर जाता है तो उसे भारी पीरियड कहा जाता है।
भारी पीरियड्स के स्राव के कारण
(1) गर्भाषय के अस्तर में कुछ निकल आना।
(2) थायराइड ग्रन्थि की समस्याएं
(3) रक्त के थक्के बनने का रोग
(4) अंतरा गर्भाषय उपकरण
लम्बा माहवारी पीरियड एवं कारण
लम्बा पीरियड वह है जो कि सात दिन से भी अधिक चले।
लम्बे माहवारी पीरियड के के कारण
(1) अण्डकोष में पुटि (2) कई बार कारण पता नहीं चलता तो उसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहते हैं (3) रक्त स्राव में खराबी और थक्के रोकने के लिए ली जाने वाली दवाईयां (4) दबाव के कारण माहवारी पीरियड लम्बा हो सकता है।
अनियमित माहवारी पीरियड - अनियमित माहवारी पीरियड वह होता है जिसमें अवधि एक चक्र से दूसरे चक्र तक लम्बी हो सकती है, या वे बहुत जल्दी-जल्दी होने लगते हैं या असामान्य रूप से लम्बी अवधि से बिल्कुल बिखर जाते हैं। किशोरावस्था के पहले कुछ वर्षों में अनियमित पीरियड़ होना क्या सामान्य बात है, , शुरू में पीरियड अनियमित ही होते हैं। हो सकता है कि लड़की को दो महीने में एक बार हो या एक महीने में दो बार हो जाए, समय के साथ-साथ वे नियमित होते जाते हैं।
अनियमित माहवारी के कारण -
(1) अज्ञात कारणों से इन्डोमिट्रोसिस हो जाता है जिससे जननेद्रिय में पीड़ा होती है और जल्दी-जल्दी रक्त स्राव होता है।
(2) अण्डकोष की पुष्टि
(3) दबाव।
नोट - सामान्य पांच दिन की अपेक्षा अगर माहवारी रक्त स्राव दो या चार दिन के लिए चले तो चिन्ता का कोई कारण होता है। समय के साथ पीरियड का स्वरूप बदलता है, एक चक्र से दूसरे चक्र में भी बदल जाता है।
- इनपुट्स विथ विकिपीडिया