नोटबंदी के बाद अब चलन में हर तरफ नये नोट नजर आ रहे हैं. कहा जा रहा है जल्द ही और भी नये नोट आने वाले हैं. पहले के पांच सौ, हजार और सौ के नोटों से अलग दिखने वाले इन नोटों में भारत की कई ऐतिहासिक धरोहरें दर्ज हैं. अक्सर बड़ी परीक्षाओं में इससे जुड़े सवाल भी पूछ लिए जाते हैं. आइए, हम आपको बताते हैं कि इन नये नोटों में कौन-सी ऐतिहासिक जगहें दर्ज हैं.
सबसे पहले बात करते हैं 2000 के गुलाबी-गुलाबी करारे नोट की. इसमें बना है मंगलयान. नोट पर छपी मंगलयान की ये तस्वीर हमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक उपलब्धि की याद दिलाती है. बता दें कि 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुंचने के साथ ही हम सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की गणना में आ गए. पहली ही बार हमने मंगलयान का सफल प्रक्षेपण किया था.
अब बात करते हैं उस नोट की जिसे बदलाव की आंधी के बाद हमने सबसे पहले देखा, वो नोट है 500 का नोट जिस पर लाल किले की तस्वीर अंकित है. लाल किले की तस्वीर पहले भी नोटों पर दर्ज की जा चुकी है. इसका निर्माण पांचवें मुगल शासक शाहजहां ने कराया था. साल 2007 में यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड आफ हेरिटेज भी घोषित किया था.
हाल ही में रंगीन 200 का नोट देखने में जितना खूबसूरत है, उस पर दर्ज बौद्ध काल का स्मारक उससे भी ज्यादा शानदार और भव्य प्रतीत होता है. ये मध्यप्रदेश राज्य के रायसेन जिले के गांव सांची में स्थित है. इस गांव में बौद्ध काल के दूसरे स्मारक भी हैं.
ये जो ब्लू और पर्पल लुक का सौ का नोट है इसमें रानी की बाव की तस्वीर छपी है. गुजरात के पाटन में स्थित इस बाव को देखने दूर दूर से आते हैं. ये एक ऐतिहासिक स्थल है, असल में ये एक बावड़ी है जो सोलंकी वंश की रानी उदयामती ने अपने पति भीमदेव की याद में बनाया था. इसे भी 2014 में वर्ल्ड हेरिटेज में डाला गया था.
हल्के हरे रंग के 50 के नोट से कई बार लोगों को पुराने पांच के नोट का अंदेशा हो जाता है. वैसे इसका रंग एकदम अलग है. अब बात करते हैं इस पर छपे उस रथ की जिसे हंपी का रथ कहा जाता है. हंपी का इतिहास सम्राट अशोक के शासन काल का है. कर्नाटक में स्थित ये रथ पर्यटकों के लिए कौतूहल का विषय बनता है. ये भी वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त है.
और आखिर में, सबसे इजी दस के नोट की बात. इस नोट पर यूनेस्को की हेरिटेज में शामिल कोणार्क का सूर्य मंदिर छपा हुआ है. भारत के उड़ीसा में स्थित इस सूर्य मंदिर की विशेषता को जानने के लिए पूरी दुनिया से पर्यटक यहां आते हैं. कहते हैं इस मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के बेटे सांब ने कराया था.
Source - Aaj Tak