किसी ने बेटे को किया दूर, किसी ने लगाया पंक्चर, ऐसे बने IAS अफसर



सफलता ही है जो अमीरी-गरीबी नहीं देखती. जो मेहनत करते हैं सफलता उन्हें ही मिलती है. आज हम आपको ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे फिर भी वह मेहनत के दम पर सफलता की सीढियां चढ़े. सफलता हासिल करने वाले इन लोगों में कोई 4 साल के बच्चे की मां है, कोई किसान की बेटी, तो कोई पेट्रोल पंप पर काम करने वाले का बेटा. जानिए इनके बारे में.


प्रदीप सिंह

UPSC परीक्षा में ने 93वीं रैंक हासिल करने वाले प्रदीप सिंह के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण भी प्रदीप ने दिन रात मेहनत कर यूपीएससी परीक्षा पास की है.


मध्य प्रदेश के किसान की बेटी का जलवा, हासिल की 23वीं रैंक

यूपीएससी परीक्षा 2017 में मध्य प्रदेश के किसान की बेटी तपस्या परिहार ने 23वीं रैंक हासिल की थी. उन्होंने ये रैंक उन्होंने दूसरी बार परीक्षा देकर हासिल की है.






























अनु कुमारी

यूपीएससी परीक्षा 2017 में हरियाणा की अनु कुमारी ने दूसरी रैंक हासिल की थी. आपको बता दें, जब उन्होंने परीक्षा दी थी उस समय उनका बेटा चार का था. उन्होंने बच्चे को खुद से दूर रखकर यूपीएससी की तैयारी की थी. यह अनु का दूसरा प्रयास था.




एम शिवगुरु

यूपीएससी सिविल सर्विस 2017 की परीक्षा में एम शिवागुरू प्रभाकरन ने 101वीं रैंक हासिल की थी. परिवार की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी जिसके चलते उन्होंने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी. पढ़ाई छोडऩे के बाद उन्होंने घर की जिम्मेदारी संभाली और नौकरी शुरू की. प्रभाकरन ने 2 साल तक आरा मशीन में लकड़ी काटने का काम किया. इसके साथ उन्होंने खेतों में मजदूरी भी की. ताकि घर का खर्चा चल सके. भले ही प्रभाकरन ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन वह हर कीमत पर अपने सपनों को मरने नहीं देना चाहते थे. जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की थी.


अभिषेक सुराना

अभिषेक सुराना ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2018 में 10वीं रैंक हासिल की थी. सुराना पहले भी यह परीक्षा पास कर चुके थे, लेकिन आईएएस बनने के लिए उन्होंने एक बार फिर परीक्षा दी और अपना सपना पूरा कर लिया. उनके इस परीक्षा में 10वीं रैंक लाने से पहले की कहानी भी काफी दिलचस्प है. दरसअल वो आईएसएस बनने से कई परीक्षाएं पास कर चुके हैं और नौकरी, व्यापार भी कर सकते हैं. बता दें कि वे इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे और उनकी सिंगापुर के एक बैंक में नौकरी लग गई थी.




हरि चंदना दसारी

हैदराबाद में महिलाओं का एक पूरा तबका आईएएस हरि चंदना दसारी को मैडम के नाम से जानता है. इन महिलाओं की जिंदगी में इस आईएएस अफसर का रोल ही ऐसा है. साल 2018 में जीएचएमसी सेरीलिंगमपल्ली की जोनल कमिश्नर बनकर आईं इस आइएएस को आज हर कोई जानता है. बता दें, इन्होंने वर्ल्ड बैंक की नौकरी छोड़कर IAS का पद हासिल किया है.


वरुण बर्नवाल
साइकिल के पंक्चर जोड़ने वाले वरुण बर्नवाल के 32वीं रैंक के UPSC टॉपर बनने की कहानी बेमिसाल है. बता दें, IAS ऑफिसर बनने से पहले वह पिता अपने पिता की दुकान पर पिताजी के देहांत के बाद पंक्चर लगाते थे.

Source - Aaj Tak