विदेश में नौकरी पाना और वहां बसना सपना है तो आपको इससे जुड़े नियम जरूर जानने चाहिए. विदेश में बसने के लिए आपके पास पासपोर्ट, वीजा से लेकर उस देश के लोकल नियमों जैसे भाषा, विदेशी नागरिकों के लिए उनके नियम कानून, जलवायु आदि चीजें भी जरूर जान लेनी चाहिए. हम यहां आपको अमेरिका, कनाडा, दुबई और यूरोप के कुछ देशों के वर्क वीजा नियमों के बारे में बता रहे हैं. पढ़ें-
कनाडा:
कनाडा में बसने का सिर्फ एक ही तरीका है, वो ये है कि जब तक आपके पास वहां काम करने के लिए लीगल वैलिड जॉब नहीं होगी. आप वहां के वर्क परमिट के आवेदन नहीं कर सकते. इसके लिए सबसे पहले आपको कनाडा में जॉब के लिए कोशिश करनी होगी. ये आप ऑनलाइन या सोशल मीडिया के माध्यम से कर सकते हैं. या फिर यदि आपके परिचित या रिश्तेदार वहां रह रहे हैं तो उनसे जॉब के बारे में जानकारी मांगे. अगर आपको ऐसे भी जॉब नहीं मिलता तो आप कनाडा का विजिट वीजा लेकर वहां जाकर जॉब के लिए आवेदन कर सकते हैं. वहां जॉब मिलने पर आप वहां के वर्क वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं.
यूरोप:
यूरोप के चार देश हैं जहां वीजा रिजेक्शन न के बराबर होता है. अगर आपके पास इन देशों के जॉब ऑफर मिल जाएं तो आप आसानी से यहां का वर्क वीजा पा सकते हैं. लेकिन यूरोप में जाना चाहते हैं तो एक बात आपको ध्यान रखनी होगी कि वहां हर कंट्री की लैंग्वेज अलग अलग है. इसलिए आपको वहां की भाषा और जलवायु के बारे में भी पता होना चाहिए. आइए जानें- वो कौन से देश हैं.
बेल्जियम: इस देश की एवरेज इनकम 50 हजार डॉलर है. यहां पांच डे वर्किंग के साथ आप बेहतर लाइफ जी सकते हैं. बता दें कि यहां भी बेरोजगारी है लेकिन काफी कम है.
आइसलैंड: आइसलैंड बर्फ से घिरा देश है जहां तापमान काफी कम रहता है. यहां जॉब के लिए लोग जाना नहीं चाहते क्योंकि यहां बर्फ गिरती है, लेकिन यहां जॉब की रिक्वायरमेंट रहती है.
नॉर्वे: ये एक विकसित देश है जहां की लाइफ काफी अच्छी मानी जाती है. तमाम रिपोर्ट कहती हैं कि यहां दुनिया के सबसे खुशहाल लोग रहते हैं, लेकिन यहां बसने के लिए जॉब के अलावा दूसरी शर्त यहां की भाषा है जो आनी बहुत जरूरी है.
डेनमार्क: ये एक ऐसा देश है जहां भारतीयों के वीजा रिजेक्शन न के बाराबर हैं, अगर आपके पास जॉब के कागज हैं तो वहां का वर्क परमिट मिल जाता है. आपको इस देश के लिए भाषा की अनिवार्यता का नियम मानना होगा.
भारतीय नागरिक अमेरिका जाने के लिए यूएस सिटिजनशिप और इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) से अप्रूवल मिलने के बाद ही वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं. बहुत से नॉन-इमिग्रैंट यूएस वर्क वीजा के लिए एम्प्लॉयर को यूएससीआईएस में पेटिशन दायर करनी पड़ती है. पेटिशन अप्रूव होने पर ही आवेदक वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं. अमेरिका के लिए कई कटेगरी में वर्क वीजा जारी होते हैं. ये काम के आधार पर इतने टाइप के होते हैं.
H-1B वर्क वीजा - इसके लिए मास्टर/हायर डिग्री होना चाहिए और आपकी कमाई 60,000 डॉलर वार्षिक होनी चाहिए.
H-2B वर्क वीजा - आवेदन पत्र श्रम विभाग से प्रमाणित हो, सीजनल या टेम्पोरेरी जॉब्स के लिए ये वीजा मिलता है.
H-3 वर्क वीजा - जो लोग किसी काम की ट्रेनिंग के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं वे लोग इस तरह के वीजा के लिए आवेदन करते हैं.
H-4 वर्क वीजा - H वीजाधारकों पर आश्रित लोगों के लिए यह वीजा जारी होता है, ये एच वीजा वाले लोगों से मिलने या उनका साथ जाने के लिए मिलता है, उन्हें काम करने की इजाजत नहीं होती.
L-1 वर्क वीजा - अंतरराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाले लोगों का ट्रांसफर अमेरिका में हो जाने पर भी यही वीजा लगता है.
L -2 वर्क वीजा - L-1 वीजा वाले लोगों पर आश्रित रहने वाले लोगों के लिए L-2 वीजा जारी किया जाता है. ये वर्क परमिट के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
O वर्क वीजा - विज्ञान, कला, एजुकेशन, बिजनस, एथलेटिक्स या फिर टेलिविजन प्रॉडक्शन में एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी एचीवमेंट वाले लोगों को O वर्क वीजा अप्लाई करने की अनुमति होती है.
P वर्क वीजा - एथलीट, एंटरटेनर्स, आर्टिस्ट्स इत्यादि लोगों को यूएस में परफॉर्मेंस के लिए P वर्क वीजा जारी किया जाता है.
Q वर्क वीजा - इंटरनेशनल कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए यूएस जाने वाले लोगों को Q वर्क वीजा जारी किया जाता है.
दुबई के नियम
देश से बाहर जॉब के लिए दुबई भारतीयों के लिए सबसे बेहतर जगह है. अगर आपको वहां जॉब ऑफर हो जाती है तो आपके लिए वर्क वीजा हासिल करना बेहद आसान होता है. कंपनी की ओर से मिली जॉब ऑफर के आधार पर ही आपको यह वीजा मिलता है. हां अगर आप ट्रैवेल या विजिटर वीजा लेकर यूएई गए हैं तो जॉब पाने के बाद आपने वीजा को वर्क वीजा में जरूर कन्वर्ट करा लें.
Source - Aaj Tak