लॉकडाउन ने रिश्तों को क़रीब ला दिया.. सही मायने में जीना सीखा दिया…

कई लोगों को तो आत्मानुभूति का अनुभव हुआ, ज़िंदगी को सही मायने में सीखने का मौक़ा भी मिला, जैसे- जाह्नवी कपूर. उन्होंने अपने हफ़्तेभर के आइसोलेशन के अनुभव को ख़त के माध्यम से शेयर किया. उन्होंने जताया और बताया कि कुछ दिनों में उन्होंने बहुत कुछ सीखा और देखा. पिता के केयर, अकेलेपन को, उनके साथ को, अब सही मायने में वे उन बातों को समझ पा रही हैं. जब वे शूटिंग में व्यस्त बाहर रहती थीं और छोटी बहन ख़ुशी भी मीटिंग, काम के सिलसिले में बाहर रहती थीं, तब वे घर आते, तो पिता बोनी कपूर को उनके इंतजार में पाते थे. अब इन अनुभवों से रिश्तो की अहमियत, ज़िम्मेदारी, अपनापन व साथ के महत्व को जाह्नवी भली-भांति समझ पा रही हैं. एक तरह से देखा जाए, तो सही मायने में अब उन्होंने जीना सीखा है. 

विकी कौशल अपनी मां के साथ. फुर्सत के लम्हे बिताते नज़र आए. उन पलों में जहां मां की आंखों में ख़ुशी की चमक थी, वहीं विक्की की नज़रों में मां के लिए ढेर सारा प्यार. घर की बालकनी में सूरज की रोशनी के साथ प्रकृति को निहारते यह सुंदर दृश्य एक मां और बेटे के प्यार और रिश्तों की मज़बूती को दर्शाता है. उस पर उनका कहना- माँ- ए नी मेरीए… 

शिल्पा शेट्टी का अंदाज़ थोड़ा अलग-सा है. उन्होंने इस बहुमूल्य समय में अपने परिवार और बच्चों को किस तरह से व्यस्त और फिट रखना है, इस पर ज़ोर दिया है. क्योंकि जो बच्चे हर समय एक्टिव और अंदर-बाहर करते रहते हैं, अब उन्हें घर में ही रहना है, तो ऐसे में पेरेंट्स की ज़िम्मेदारी काफ़ी बढ़ जाती है. उन्हें किस तरह व्यस्त रखना है कि वे बोर भी ना हो, उन्हें ख़ुशी भी रहे, उत्साह भी बना रहे हैं और परिवार एक होकर मनोरंजन भी कर सकें… इन तमाम बातों पर ध्यान देना होगा. शिल्पा शेट्टी लगातार ऐसे कई वीडियोज डालती और बातें करती रहती हैं, जिसमें हमें किस तरह से अपना, परिवार व बच्चों का ध्यान रखना है. सभी को मस्त रहना है और स्वस्थ रहना है. इसमें एक तरह से उनका पूरा परिवार इकट्ठा हो गया है, जैसे- पति राज कुंद्रा हो, बेटा विवान या बहन शमिता शेट्टी. अक्सर शमिता भी अपने जीजाजी राज के साथ मज़ेदार वीडियो शेयर करती रहती हैं. इनके परिवार की बॉन्डिंग काबिल-ए-तारीफ़ है. 

कॉमेडियन सतीश कौशिक तो अपनी पोती के साथ लूडो के खेल का ख़ूब एंजॉय कर रहे हैं. वैसे भी यह गेम भी है दिलचस्प, इसमें बड़े-छोटे हर कोई एंजॉय कर सकता है. ऐसे में उनका कहना है कि हर बार वे हार जाते हैं और पोती जीत जाती है, पर यह क्या कम है ख़ुशी के पल साथ बिताने के लिए. अच्छा लगता है दादा-पोती का यह खेल और साथ.

करण जोहर तो अपनी मां हीरू और दोनों बच्चों रूही और यश के साथ एक अलग ही दुनिया में मौज-मस्ती कर रहे हैं. वे भी अक्सर अपने बच्चों और मां के वीडियोज शेयर करते रहते हैं. उनका हंसना, खेलना, रूठना-मनाना, साथ भोजन एंजॉय करना… एक से एक लाजवाब मनोरंजन के साथ वीडियो देखने मिलते हैं. उस पर रूही और यश की जुगलबंदी और मां की सख़्ती भी अलग ही समा बांध देती है. इसमें कोई दो राय नहीं कि करण जौहर का अपने परिवार के साथ बेहद मज़बूत बॉन्डिंग है. उस पर उनका प्यार और व्यवहार रिश्तों को और भी क़रीब लाता है और ख़ूबसूरत बनाता है. रिश्तों को कैसे जिया जाए ख़ासकर बेहद अपनों के साथ यह कोई करण जौहर से सीखे. सच, मां और बच्चों की ख़ुशी उनकी इच्छाओं को पूरी करने के लिए वे हमेशा तैयार व तत्पर रहते हैं. 

संजय दत्त ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, रिश्तों का टूटना, दूर होना, बिखरना और भी न जाने कितनी ही मुश्किलों की घड़ी से दो-चार हुए हैं. जब वे देश की हालत देख रहे हैं, तो उनका मन भी दुखी हो रहा है. उन्होंने हाथ जोड़कर सभी के लिए प्रार्थना की है और सभी को घर में रहने की गुजारिश भी की है. कहते हैं ना जिसने दर्द सहा और झेला है, वहीं इसके मर्म को भलीभांति समझ पाता है. संजय दत्त देशवासियों को कहना चाहते हैं कि प्लीज घर पर रहें और अपना और अपनों का ख़्याल रखें, आज वक़्त की नजाकत यही कह रही है. संजय दत्त की बेटी ने भी पिता की इस अपील को पसंद किया. उन्होंने कहा- डैड लव यू.. आप अपना ख़्याल रखें, सुरक्षित रहें.. हाथों को बराबर धोते रहें…

अमिताभ बच्चन तो हर धर्म के देवताओं को मनाने और उन्हें उपासना में लग गए हैं. वे चाहते हैं कि सब अच्छा हो जाए. दुनियाभर में सुख-शांति हो जाए. इसके लिए फिर चाहे गणपति बप्पा को पूजने की बात हो, वाहेगुरु गुरुनानक साहब को जपने की बात हो या फिर गॉड-अल्लाह को याद करने की बात हो… वे सभी की आराधना कर रहे हैं. कुछ भी करना हो, बस कोशिश यही है कि सभी सुखी व स्वस्थ रहें. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा नहीं हो सकता कि 2020 का साल डिलीट कर दिया जाए और एक नई शुरुआत की जाए, फिर नया साल इंस्टॉल किया जाए.. कितनी गहराई है इन बातों में. वे चाहते हैं कि सभी अपनों के साथ ख़ुश रहें.. एक रहें.. किसी को किसी बात की डर ना हो. अपनों को खोने का डर इंसान को और भी कमज़ोर और बेबस बना देता है. इसलिए ये सब ना हो, इसके लिए ऊपरवाले से प्रार्थना कर रहे हैं और गुजारिश करें कि सब अच्छा हो जाए!

आयुष्मान खुराना ने भी उम्मीद कायम रखें.. क्षमा-दान पर ध्यान दें.. जैसी बातें कविता के साथ संदेश देते हुए कहीं. लॉकडाउन की परिस्तिथियों पर वे कहते हैं- ग़लतियां सारी बख़्श दे, ग़र बख़्श सके.. दौलत-शौहरत भी उतनी दे, जो पच सके… अमीर तो सह लेगा ये सब, पर ग़रीब नहीं सह पाएगा… सच उनकी ये बातें दिल को छू गई.

इस नाज़ुक घड़ी में ज़िंदगी का फ़लसफ़ा बढ़िया तरीक़े से समझा रहे हैं अनुपम खेर.. उनके अनुसार, समय की मांग है कि हम अपने ग्रह के आसपास सभी की कद्र करें. यह अमृत मंथन है.. इसमें ज़हर भी निकलेगा, अमृत भी… अब यह हम सब पर है कि हम क्या लेते हैं.