रजोनिवृत्ति (Menopause)

मेनोपोज़ या रजोनिवृत्ति: , मासिक धर्म चक्र का स्थायी रूप से  बंद हो जाने की प्रक्रिया को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं।रजोनिवृत्ति की अवस्था हर महिला के जीवन में आता है। साधारणत: कन्याओं को 14 या 15 की आयु में  मासिकधर्म प्रारंभ हो जाता है, जिसका अर्थ है कि कन्या गर्भधारण के योग्य हो गई है। तब से लेकर 45 से 50 वर्ष की आयु तक साधारणतया प्रत्येक 28वें दिन मासिकधर्म होता रहता है। प्रत्येक मास में एक बार डिंबग्रंथि से एक डिंब परिपक्व होकर बाहर निकलता है और डिंबवाहिका नली में शुक्राणु द्वारा संसेचित होकर गर्भाशय में आकर गर्भ बन जाता है।

जब डिंबग्रंथि में परिपक्व डिंबों का क्षरण बंद हो जाता है, तब मासिकधर्म भी बंद हो जाता है। डिंबग्रंथि में जो अंत:स्राव बनते हैं, वे ही डिंब के परिपक्व होने के बाद अंडोत्सर्ग (ovulation), गर्भस्थापना और गर्भवृद्धि के कारण होते हैं। डिंबग्रंथि के सक्रिय जीवन के समाप्त होने पर इन स्रावों का बनना निसर्गत: बंद हो जाता है। रजोनिवृत्ति इसी का सूचक तथा परिणाम है। प्रीमेनोपोज़ की अवस्था में महिला में गर्भ धारण की क्षमता होती है। यह लड़की की प्रथम मासिक धर्म चक्र से लेकर मासिक धर्म चक्र के आखिरी अवधि को कहते हैं।

अलग - अलग  स्त्रियों में रजोनिवृत्ति भिन्न भिन्न प्रकार से होती है। किस में मासिकधर्म अकस्मात्‌ बंद हो जाता है। कुछ में धीरे धीरे, एक या दो वर्ष में बंद होता है।
  • पेरीमेनोपोज़,  मेनोपोज़ के पहले की अवस्था को कहते हैं। इसकी अवधि दो से दस साल की होती है, जब मासिक धर्म चक्र धीरे-धीरे बंद होने लगता है। यह अवस्था साधारणतः 35 से 50 साल के बीच आता है।  यह बदलाव हॉर्मोन्स के कारण आता है, क्योंकि हॉर्मोन्स बढ़ने और घटने लगते हैं।
  • मेनोपोज़ या रजोनिवृत्ति की अवस्था में हॉर्मोन्स का उत्पादन बिल्कुल कम हो जाता है। ओवरी प्रजनन की क्षमता बिल्कुल खो देती है।
  • पोस्ट मेनोपोज़ - मेनोपोज़ होने की बाद की अवस्था को कहते हैं, यह अवस्था जीवनभर के लिए होता है।
  • प्रीमैच्योर मेनोपोज़ - मेनोपोज़ की अवस्था किसी-किसी में चालिस साल के पहले आ जाती है।
रजोनिवृत्ति होने पर स्त्री के शरीर में शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के पविर्तन हो जाते हैं। बहुधा ये परिवर्तन इतनी धीमी गति से तथा अल्प होते हैं कि स्त्री को कोई असुविधा नहीं होती, किंतु कुछ स्त्रियों को विशेष कष्ट होता है। रजोनिवृत्ति को अंग्रेजी में मेनोपॉज़ कहते हैं, जिसका अर्थ 'जीवन में परिवर्तन' है। यह वास्तव में स्त्री के जीवन का पविर्तनकाल होता है।






मेनोपोज़ के लक्षण:


इस काल का प्रारंभ होने पर 
  • चित्त में निरुत्साह, 
  • महिला जनन शक्ति या गर्भ धारण की क्षमता ख़त्म हो जाना, 
  • खून में असंतुलन के कारण गर्मी लगना, 
  • दिल तेज धड़कना , 
  • रात में पसीना  आना ,
  • सवेरे नींद जल्दी टूट जाना, 
  • शरीर की शिथिलता,
  •  निद्रा न आना, 
  • शिर में तथा शरीर के भिन्न भिन्न भागों में पीड़ा रहना, 
  • जनन पथ में बदलाव (जेनेटल चेंज) के कारण जननांग में सिकुड़न, सूखापन, खून बहना, पानी गिरना,
  •  सेक्स करने में दर्द या न करने की इच्छा ,
  • यूरीनरी ट्रैक्ट चेंज के कारण मूत्र संबंधी परेशानी होना,
  • मूत्र कभी अधिक तो कभी कम होना, 
  •  कभी-कभी असावधानी के कारण इन्फेक्शन होना, 
  •  हड्डी कमजोर होना,  इसके कारण जोड़ों, पीठ और मांसपेशियों में दर्द का अनुभव होना, 
  • हॉर्मोन्स के कारण त्वचा रूखी हो जाना , 
  • स्तन सिकुड़ जाता है।
  • चिड़ाचिड़ापन, उदासी, कुछ भी न करने की इच्छा, याद न रहना, खोये रहना,
  • अनेक प्रकार की असुविधाएँ, या बेचैनी होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
  •  बहुतों के शरीर में स्थूलता आना और शरीर फूलना, 
  • आनुवंशिक या वैयक्तिक उन्माद की प्रवृत्तिवाले व्यक्तियों को उन्माद, या पागलपन होने की आशंका रहती है। अन्य प्रकार के मानस विकार भी हो सकते हैं।

नोट - प्रजनन क्रिया समाप्त होने के पश्चात्‌, प्रजनन अंगों में अर्बुद/ट्यूमर (नियोप्लास्टिक)होने का भय रहता है। डिंबग्रंथि और गर्भाशय दोनों में अर्बुद  (नियोप्लास्टिक) उत्पन्न हो सकते हैं। गर्भाशय में घातक और प्रघातक दोनों प्रकार के अर्बुदों की प्रवृत्ति होती है। 

मासिकधर्म की गड़बड़ी कैंसर का सर्वप्रथम लक्षण है। अधिक मात्रा में स्राव होना, सौत्रार्बुद (fibroid) का द्योतक है। उदर के आकार की वृद्धि का कारण अर्बुद हो सकता है। इस समय गलगंड, या घेघा (goiter) उत्पन्न होने की संभावना रहती है।


मेनोपोज़ के समय क्या करे:
  • चाय, कॉफी और मसालेदार आहार का सेवन कम करें,
  • अच्छी नींद ले,
  • व्यायाम ज़रूर करें इससे आस्टिओपरोसिस की समस्या से कुछ हद तक निजात पाया जा सकता है,
  •  दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन ज़रूर करें,
  • खुश रहें,
  • संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें,
  • योनि के सिकुड़न, सूखापन के  लिए , जल-आधारित योनि स्नेहक (नहीं पेट्रोलियम जेलीनहीं  ) या एक एस्ट्रोजन क्रीम का उपयोग करें।
  • तनाव से बचे,
  • अगर शारीरिक और मानसिक समस्या हद से ज़्यादा बढ़ जाय तो तुरन्त चिकित्सक से सलाह लें।
रजोनिवृत्ति के दौरान गर्भवती होना संभावना 


आमतौर पर यही माना जाता है कि रजोनिवृति के दौरान गर्भधारण सम्‍भव नहीं। लेकिन, यह बात  सही  नहीं है वास्‍तव में  रजोनिवृति में ऑव्‍युलेशन प्रक्रिया की गुंजाइश कम होती है। ऐसे में मासिक धर्म का ठीक अनुमान लगाना कठिन होता है और सेक्‍स संबंध के दौरान आप कभी भी गर्भधारण हो सकता  हैं। 

रजोनिवृत्ति के दौरान गर्भावस्था के जोखिम अधिकांश पैरीमीनोपॉज़ वाली महिलाएं रजोनिवृत्ति के दौरान गर्भावस्था से सम्बन्धित तथ्यों से अनजान होती हैं। सामान्यता 45 से 49 वर्ष के बीच की महिलाओं में से लगभग पचास प्रतिशत से अधिक गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं करतीं। इस आयु वर्ग में दस प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था से बचने के लिए प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करते हैं। इस समय में गर्भावस्था को रोकने के लिए प्राकृतिक तरीके पर्याप्त नहीं होते। ऐसे में मासिक धर्म वहुत अव्यवस्थित होते हैं और रजोनिवृति के लक्षण अपने चक्र को विकृत कर सकते हैं।