श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ ( Leukorhea )

श्वेत प्रदर या सफेद पानी का योनी मार्ग से निकलना Leukorrhea कहलाता है। यह हमेशा रोग का लक्षण नहीं होता।

अधिकतर महिलाएं इस गलत फैमी में होती है कि सफेद पानी के जाने से शरिर में कमजोरी आती है, चक्कर आता है, बदन में दर्द होता है।

सफेद पानी का निकलना दो प्रमुख कारणोंसे होता है।
  • स्वाभाविक
  • बिमारी का लक्षण
1. स्वाभाविक

योनी से सफेद पानी निकलना प्राय: स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से कुछ मात्रा में होता है।

विशेषत: माहवारी (मासिक धर्म) के पूर्व, माहवारी के बाद, अण्डोत्सर्ग (Ovulation)के समय अौर कामेच्छा उद्दिप्त होने पर स्वाभाविक है।

इसके लिए कोइ उपचार कि आवश्यकता नहीं होती| समुपदेशन, सही जानकारी देना पर्याप्त है।

2. बिमारी  एवं लक्षण 

 योनी से सफेद पानी का सामान्य  से अधिक निकलना  श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ (Leukorrhea) या "सफेद पानी आना" स्त्रिओं में  रोग का लक्षण है. इस रोग में स्त्री के योनि मार्ग से  स्राव ज्यादा मात्रा में, सफेद, चिपचिपा, गाढ़ा, बदबूदार  पीला, हरा, नीला हो, खुजली पैदा करने वाला हो है , यह स्थिति असामान्य मानी जाती है, इससे शरीर कमजोर होता है और कमजोरी से श्वेत प्रदर बढ़ता है। इसे वेजाइनल डिस्चार्ज भी  कहते हैं। इसके प्रभाव से हाथ-पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन रहता है।श्वेत प्रदर खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है। यह  किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है; या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है। इसके अन्य लक्षण निम्न  है - 
  • योनि स्थल पर खुजली होना
  • कमर दर्द होना
  • चक्कर आना
  • कमजोरी बनी रहना

श्वेत प्रदर के कारण

स्चाभाविक श्वेत प्रदर जिसके  लिए उपचार के आवश्यकता नहीं है.
  • सफेद पानी का निकलना निम्नन परिस्थिती में स्वाभाविक होता है:
  • नवजात बालिका
  • कामेच्छा होनेपर
  • रजो प्रवाह (मासिक) के कुछ दिन पूर्व
  • बिजोत्पत्ती के दिन
  • गर्भवती होने पर
  • अज्ञान कारण से (idiopathic)
अस्चाभाविक श्वेत प्रदर के कारण जिसके  लिए उपचार के आवश्यकता  है - 
  • अत्यधिक उपवास,
  •  उत्तेजक कल्पनाएं,
  • अश्लील वार्तालाप, 
  • मुख मैथुन, 
  • सम्भोग में उल्टे आसनो का प्रयोग करना, 
  • सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात, 
  • योन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण
  • गर्भाशय के मुँह पर इन्फेक्शन (यह कॉपर टी या योनि में लगाए जाने वाले किसी गर्भ निरोधक के कारण या  किसी विशेष प्रकार के कंडोम के कारण हो सकता है )
  • क्रीम , जैली आदि से एलर्जी यौन संक्रमण के कारण हो सकता है,
  • रोगग्रस्त पुरुष के साथ सहवास,
  • दो तीन पुरूषों से एकसाथ अत्याधिक संभोग करना,
  •  बार-बार गर्भपात कराना 
  • सहवास के बाद योनि को स्वच्छ जल से न धोना
  •  सफेद पानी (या श्वेत प्रदर) का एक और कारण प्रोटिस्ट हैं जो कि एक सूक्ष्म जीवों का समूह है।
बचाव 
  • सबसे जरूरी है योनी के साफ-सफाई - योनि को धोने के लिये सर्वोत्तम उपाय फिटकरी के जल से धोना है (फिटकरी एक श्रेष्ठ जीवाणु नाशक है) । योनि को धोने के लिये बोरिक एसिड के घोल का भी प्रयोग करा जा सकता है . अंदरूनी सफ़ाई के लिये पिचकारी से धोना (डूश लेना) ठीक रहता है.
  • जननेन्द्रिय क्षेत्र को शुष्क रखना.
  • मैथुन के पश्चात अवश्य ही साबुन से सफाई करना चाहिए।
  • प्रत्येक बार मल-मूत्र त्याग के पश्चात अच्छी तरह से संपूर्ण गुप्तांग  को साबुन से धोना ठीक रहता है।
  •  योन सम्बन्धों से लगने वाले रोगों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल 
  •  मधुमेह का रोग हो तो रक्त की शर्करा को नियंत्रण में रखाना 
  • शर्म त्यागकर इसके बारे में अपने पति एवं डाक्टर को बाताना चाहिये।

उपचार


औषधियां 


अशोकरिष्ट, अशोक घनबटी, प्रदरांतक लौह, प्रदरहर रस आदि हैं

घरेलु उपचार 

  1. गुप्तांगो को फिटकरी के पानी से सुबह-शाम धोयें। 
  2. खटाई से परहेज करें।
  3. आंवला पिसा हुआ  या रस, एक चम्मच 2-3 चम्मच शहद रोज दिन में एक बार खायें।  
  4. केला खाकर ऊपर से दूध में शहद डालकर पियें। (गर्म दूध में शहद न डालें)
  5.  कच्चे केले की सब्जी खायें।
  6. दो केले में शहद डाल कर खायें।
  7. टमाटर खायें और हो सके तो कच्चा टमाटर ही खायें।
  8. सिंघाडे का आटा के रोटी /  हलुआ खायें।
  9. अनार के ताजे पत्ते मिल जायें तो 25-30 पत्ते लें और काली मिर्च के साथ पिसलें, उसमें आधा ग्लास पानी डालें, छान कर रोज सुबह-शाम पियें।
  10.  100 ग्राम धुली मूंग तवे पर हल्का भून लें दो मुट्ठी चावल एक कप पानी में भिगा दें, दाल को पीसकर रख ले शीशी में अब इस चूरण को चावल भीगे पानी के साथ एक कप में घोलकर पी जायें।
  11. भूना चना पीसकर उसमें खाण्ड मिलाकर खायें और एक कप दूध में देशी घी डालकर पियें।
  12.  भूना जीरा चीनी के साथ खायें ।
  13.  10 ग्राम सोंठ एक पाव पानी में डालकर काढा बनायें छानकर पीलें। करीब 15-20 दिन तक लगातार पियें।
  14.  जौ का दलिया , चोकर सहित आटे की चपाती , हरी सब्जियां , काली मिर्च , फल , मेवे , गाजर , टमाटर , चुकंदर आदि का सेवन करे ,
  15. एक ग्राम कच्ची फिटकरी पिसी हुई, एक केले को बीच में से काटकर भर दें इसे दिन में या रात में एक बार खायें। 
  16. तुलसी के पत्तों का रस, उतना ही शहद लें और इसे सुबह-शाम चाटें।
  17. 3 ग्राम शतावरी या सफेद मूसली, 3ग्राम मिश्री इनका चूरण सुबह-शाम गरम दूध से लें। श्वेत प्रदर तो ठीक होगा साथ  ही कमजोरी भी ठीक होगी ।
  18. माजू फल(Oak Gall), बड़ी इलायची, मिश्री, समान मात्रा में लेंकर पीस लें एक दिन में तीन बार लें।
  19. सुबह-शाम दो चममच प्याज का रस बराबर मात्रा में शहद मिलाकर पियें।
  20. हल्दी चूरण चीनी के साथ लें ।
  21. नागर मोथा, लाल चंदन आक के फूल, चिरायता, दारूहल्दी, रसौता सबको 25-25 ग्राम लें तीन पाव पानी में उबालें आधा पानी रह जाय तो छानकर रख दें उसमे 100ग्राम शहद मिलाकर दिन में दो बार 50-50 ग्राम लें हर प्रकार का प्रदर ठीक होजाताहै।
  22.  तुलसी का रस 10 ग्राम चावल के माड में मिलाकर पीने से यह रोग ठीक हो जाएगा। इस दवा के खाने तक दूध भात खायें या भात खाना होगा।