नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। मोदी सरकार ने गैर पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजना के तहत सौर ऊर्जा से एक लाख मेगावॉट बिजली बनाने के लिए रोडमैप तैयार कर लिया है। इस योजना को अमली जामा पहनाने में आम जनता की भूमिका भी अहम होगी, क्योंकि इसमें से 40 हजार मेगावॉट बिजली घरों की छत पर सोलर पैनल लगा कर किया जाएगा। घरों में सोलर पैनल लगाने और उनकी मरम्मत वगैरह के लिए देश में पांच लाख युवाओं को विशेष तौर पर प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक लाख मेगावॉट सौर ऊर्जा बनाने का एक हिस्सा आम जनता की भागीदारी होगी। एक सोच यह है कि शहरी प्राधिकरणों की तरफ से आवास निर्माण के उन्हीं नक्शों को पास किया जाए, जिनके छतों पर सौर पैनल लगाने की भी व्यवस्था हो। इस बारे में केंद्र सरकार राज्यों के साथ बातचीत कर रही है। साथ ही पिछले गुरुवार को सरकार ने देश के 30 बैंको व वित्तीय संस्थानों से भी इस बारे में बात की गई है।
बैंकों से कहा गया है कि वे होम लोन के साथ घरों में सोलर पैनल लगाने की लागत के लिए भी कर्ज मुहैया कराएं। इन कदमों के बाद ही दूरदराज के इलाकों में भी सौर ऊर्जा की पहुंच हो सकेगी। उक्त अधिकारी के मुताबिक सौर ऊर्जा प्लांट के लिए जमीन का अधिग्रहण सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। ऐसे में घरों के छत पर प्लांट लगाकर काफी दिक्कत दूर की जा सकती है। इसी तरह से सरकारी उपक्रमों, विभागों, सेना की खाली पड़ी जमीन पर सोलर प्लांट लगाकर 20 हजार मेगावॉट बिजली बनाई जा सकती है।
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इसके लिए भी राज्यों को मदद करनी होगी। केंद्र चाहता है कि राज्यों के साथ मिलकर खाली पड़ी जमीनों का चुनाव किया जाए। यह काम छह महीने में पूरा कर लिया जाएगा। शेष बचे 40 हजार मेगावॉट के लिए जमीन अधिग्रहीत करने की जरूरत होगी। इसमें से 25 हजार मेगावॉट के सोलर पार्क बनाने के प्रस्ताव को पहले ही केंद्र मंजूरी दे चुका है।
एक लाख मेगावॉट क्षमता जोड़ने की तैयारी से देश में पांच लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। घरों में सोलर पैनल लगााने, उनकी मरम्मत करने के लिए आइटीआइ कर चुके युवाओं को विशेष तौर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिस तरह से देश में केबल नेटवर्क ने बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए थे, उसी तरह का काम सौर ऊर्जा में भी होगा।