सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई अधिकारियों पर लगे घूस के आरोपों का जांच के आदेश दिए हैं और इसकी निगरानी रिटायर्ड जस्टिस को सौंप दी है. छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सीवीसी इस मामले की जांच 15 दिन में पूरी करे. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि यह जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक की अध्यक्षता में होगी.
आइए जानते हैं कौन हैं अनंग कुमार पटनायक
दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में स्नातक और कटक से क़ानून की पढ़ाई करने वाले अनंग कुमार पटनायक (एके पटनायक) 2009 से 2014 तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रहे. उनका जन्म 1949 में हुआ. 1974 में उन्होंने ओडिशा हाई कोर्ट में वकालत शुरू की और 1994 में वहीं अतिरिक्त न्यायाधीश बने.
2002 में ओडिशा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायमू्र्ति बनने से पहले वह गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज रहे. मार्च 2005 में पटनायक को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. इसी वर्ष अक्तूबर में वो मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए.
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति के तौर पर उनके काम की सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायमूर्ति रमेश चंद्र लाहोटी ने तारीफ़ की थी.
इन मामलों की कर चुके हैं सुनवाई
सौमित्र सेन का मामला
कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ लगे फंड के गलत इस्तेमाल के आरोपों की जांच करने के लिए जो इन हाउस कमेटी बनाई गई थी पटनायक भी उसके सदस्य थे. जस्टिस सौमित्र सेन पर महाभियोग लाया गया था जो राज्यसभा में पास भी हो गया था. बाद में सेन ने त्यागपत्र दे दिया था.
इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस सेन को दोषी ठहराया था.सौमित्र सेन पर स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और शिपिंग अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के बीच अदालती विवाद में कोर्ट का रिसीवर रहते हुए क़रीब 33 लाख रुपये अपने खाते में जमा करा लेने के आरोप लगे थे.
2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई
2012 में तत्कालीन चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया ने 2जी स्पेक्ट्रम केस की जांच के लिए जिन 2 जजों की बेंच बनाई थी उसमें एके पटनायक भी शामिल थे. इसके अलावा मतदान के दौरान नोटा का वैकल्पिक प्रावधान देने का मामले, आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग मामले की सुनवाई में भी जस्टिस पटनायक सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल रहे.
नदियों को जोड़ो योजना
जस्टिस पटनायक ने ही आदेश दिया था कि तय समय में नदियों को जोड़ने की योजना पर काम करने के लिए उच्च अधिकार संपन्न कमेटी का गठन किया जाए, रिटायर होने के बाद उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन पद के लिए नॉमिनेट किया गया था.
कोलेजियम सिस्टम पर उठाए थे सवाल
पटनायक कोलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाकर सुर्खियों में आ गए थे. 2016 में उन्होंने कहा था कि कोलेजियम सिस्टम की वजह से जजों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है. यह गिव एंड टेक की पॉलिसी है.रिटायरमेंट के बाद उन्हें ओडिशा राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाया जा रहा था लेकिन उन्होंने दिल्ली में रहने की इच्छा के चलते यह पद ठुकरा दिय.
Source - Aaj Tak