राफेल डील को लेकर मची सियासी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इसको चुनावी मुद्दा बनाते हुए अपनी रैलियों में जमकर उठा रहे हैं. राहुल का आरोप है कि मोदी सरकार ने HAL से करार छीनकर 30 हजार करोड़ रुपये अंबानी की जेब में डाल दिए. राहुल के इन्हीं आरोपों पर अब दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने बयान दिया है. ट्रैपियर ने राहुल के आरोपों को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि रिलायंस डिफेंस को इस डील के लिए केवल 850 करोड़ रुपये के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट मिलेंगे, ना कि 30 हजार करोड़.
उन्होंने कहा कि रिलायंस ग्रुप के साथ साल 2012 से उनकी कंपनी का रिश्ता है. ट्रैपियर ने कहा कि हम फ्रांस और भारत के कानून के साथ ही करार के कानून पर बने हुए हैं. उन्होंने कहा हम पूरी तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं. अगर फ्रांस या भारत में कोई जांच होती है तो हम इसके लिए तैयार हैं. यह हमारी ड्यूटी है. उन्होंने साफतौर पर कहा कि हम साबित कर देंगे कि इसमें कोई भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि दसॉ का रिलायंस के साथ दसॉ रिलायंस एयरोस्पेस के नाम से जॉइंट वेंचर है. उन्होंने कहा कि अभी इस जेवी(जॉइंट वेंचर) में हमने 70 करोड़ रुपये का कैपिटल इन्वेस्टमेंट किया है. इस जेवी में 51 प्रतिशत हिस्सा रिलायंस का है, लिहाजा मैंने इस 70 करोड़ का 49 प्रतिशत निवेश किया है. धीरे-धीरे इस जेवी में हम पूंजी बढ़ाते जाएंगे. इसमें हमारा निवेश करीब 425 करोड़ का होगा.
दसॉ एविएशन के सीईओ के इस बयान के बाद कहीं ना कहीं राहुल गांधी को जरूर झटका लगेगा. क्योंकि वह इसी मुद्दे पर पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे हैं.
Source - Aaj Tak