चूजा मर चुका था..
इस अपडेट के साथ एक बड़ी ज़रूरी बात ये हुई कि हमें उसका नाम भी मालूम चल गया. डेरेक सी लालचनहिमा. छह बरस का है वो. सोशल मीडिया के रास्ते हमको उसकी कहानी मालूम चली थी. उसने ग़लती से पड़ोसी के घर के चूजे पर साइकल चढ़ा दी थी थोड़ी सी. उसको महसूस हुआ कि उसके हाथों बड़ा ग़लत काम हो गया है. वो चूजे को लेकर भागा-भागा अस्पताल पहुंचा. उसका इलाज करवाने. 10 रुपये की अपनी कुल संपत्ति मुट्ठी में दबाकर. उसकी कहानी फेसबुक पर पोस्ट की थी Sanga Says नाम के एक यूज़र ने. उन्होंने NDTV को बताया-
इस अपडेट के साथ एक बड़ी ज़रूरी बात ये हुई कि हमें उसका नाम भी मालूम चल गया. डेरेक सी लालचनहिमा. छह बरस का है वो. सोशल मीडिया के रास्ते हमको उसकी कहानी मालूम चली थी. उसने ग़लती से पड़ोसी के घर के चूजे पर साइकल चढ़ा दी थी थोड़ी सी. उसको महसूस हुआ कि उसके हाथों बड़ा ग़लत काम हो गया है. वो चूजे को लेकर भागा-भागा अस्पताल पहुंचा. उसका इलाज करवाने. 10 रुपये की अपनी कुल संपत्ति मुट्ठी में दबाकर. उसकी कहानी फेसबुक पर पोस्ट की थी Sanga Says नाम के एक यूज़र ने. उन्होंने NDTV को बताया-
डेरेक को नहीं पता था कि चूजा मर चुका है. वो अपने ममी-पापा के आगे गिड़गिड़ा रहा था. कि वो चूजे को इलाज करवाने के लिए अस्पताल ले चलें. मगर वो नहीं माने. तब उसने अपने पास के 10 रुपये लिए और चूजे को लेकर खुद ही हॉस्पिटल पहुंच गया.
सम्मान में कंधे पर शॉल रखने का मतलब
सांगा सेज़ ने उसकी फोटो जो फोटो फेसबुक पर डाली, उसे लाख पार लोगों ने शेयर किया. हज़ारों दिल के रिऐक्शन आए फोटो पर. उस फोटो में डेरेक की आंखों का भाव ऐसा था कि जिसने भी देखा, उलझ गया. रोये कि प्यार जताए. अवॉर्ड वाला अपडेट देते हुए सांगा सेज़ ने पोस्ट में लिखा-
सांगा सेज़ ने उसकी फोटो जो फोटो फेसबुक पर डाली, उसे लाख पार लोगों ने शेयर किया. हज़ारों दिल के रिऐक्शन आए फोटो पर. उस फोटो में डेरेक की आंखों का भाव ऐसा था कि जिसने भी देखा, उलझ गया. रोये कि प्यार जताए. अवॉर्ड वाला अपडेट देते हुए सांगा सेज़ ने पोस्ट में लिखा-
मुझे लगता है कि अब तक आप सबको पता लग गया होगा कि ये प्यारा बच्चा कौन है. उसके स्कूल ने उसे सम्मानित किया है. उसे शॉल ओढ़ाई गई. मिज़ोरम में किसी को सम्मान देने की ऐसी ही परंपरा है. मिज़ो परंपरा में सम्मानित अतिथियों को नवाज़ने के लिए अलग-अलग तरह की शॉलें होती हैं. पहले के जमाने में खूब वीरता दिखाने वालों को भी ऐसे ही सम्मानित किया जाता था. इस बच्चे को जो शॉल ओढ़ाई गई है वो ‘तव्लहोह पुआन’ का थोड़ा मोडिफाइड रूप लग रहा है. ये शॉल उन्हें दिया जाता है, जो मिसाल देने लायक हिम्मत दिखाते हैं.
Source - The Lallan Top