नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना ।
न चाभावयतः शान्तिरशान्तस्य कुतः सुखम्
योगसाधना रहित पुरुष के अंतः करण में निष्काम कर्मयुक्त बुद्धि नहीं होती। उस अयुक्त के अंतः करण में भाव भी नहीं होता। भावनारहित पुरुष को शांति कहां और अशांत पुरुष को सुख कहां? योगक्रिया करने से कुछ दिखाई पड़ने पर ही भाव बनता है।
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योग का इतिहास
हजारों साल पहले, हिमालय में आदि योगी ने अपने इस ज्ञान को प्रसिद्ध सप्तऋषि को दिया था। सत्पऋषियों ने योग के इस विज्ञान को एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरीका सहित दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाया। अगस्त नामक सप्तऋषि, जिन्होंने पूरे भारतीय उप महाद्वीप का दौरा किया, उन्होंने यौगिक तरीके से जीवन जीने के इर्द-गिर्द इस संस्कृति को गढ़ा। लोक परंपराओं, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक एवं उपनिषद की विरासत, बौद्ध एवं जैन परंपराओं, दर्शनों, महाभारत एवं रामायण नामक महाकाव्यों, शैवों, वैष्णवों की आस्तिक परंपराओं एवं तांत्रिक परंपराओं में योग की मौजूदगी है। 500 ईसा पूर्व - 800 ईस्वी सन के बीच की अवधि को श्रेष्ठ अवधि के रूप में माना जाता है जो योग के इतिहास एवं विकास में सबसे महत्वपूर्ण है।
योग का महत्व
तनाव, तमाम तरह की जिम्मेदारियां और बीमारियां जिंदगी का हिस्सा बनती जा रही हैं। गुस्सा, रंज और बेचैनी से उलझे मन को नहीं मिल रहा है आराम। इसलिए लोग दवा के साथ योग और ध्यान की शरण में जा रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यह एक बहुत ही अच्छा संकेत है लेकिन पहले यह जरूरी है कि योग को फायदे का सौदा नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा माना जाए।
दुनिया के बड़े चिकित्सक, शोध संस्थान भी यह मान रहे हैं कि विचारों को सकारात्मक दिशा देकर स्वास्थ्य में बड़ा बदलाव किया जा सकता है जो कि योग और ध्यान से संभव है। अगर योग करते हैं तो आप महसूस कर सकते हैं कि महज अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करने से यानी प्राणायाम करने से शरीर का दर्द भी दूर हो जाता है। है। अगर दर्द भी रहता है वह सामान्य होता जा रहा है। यदि योग नियमित करते रहें तो आप पाएंगे कि एक दिन तनावपैदा करने वाले रोजमर्रा के कारक खुद-ब-खुद आपसे दूर जाने लगे हैं। याद रहे, योग दवा की तरह काम नहीं करता। यह आपके जीवन में बदलाव लाता है। मन को शांत कर सरल बनाता है ताकि आप विपरीत परिस्थितियों में भी संयमित रह सकें।
एक वस्त्र सब पर फिट नहीं हो सकता। योग करते समय भी यही ध्यान रखें। यदि आपको किसी तरह की शारीरिक परेशानी है, हाई बीपी या हाइपरटेंशन आदि की शिकायत है तो, आप किसी प्रशिक्षित योग विशेषज्ञ की निगरानी या निर्देश में रहकर योग करें। ऐसे मरीज को ज्यादा जोर से सांस लेने या छोड़ने आदि को लेकर सतर्क रहना होता है। इसी तरह, पीठ दर्द की समस्या है तो शरीर को मोड़ने या झटके देकर योग करने कीप्रक्रिया को छोडना ही श्रेयस्कर है। याद रखें, हर आसन अलग है, हर व्यक्ति भीअलग है, उसे उसी अनुसार आसन का चयन करना चाहिए। याद रहे, आसन वही हो, जो आसान हो। आपको कोई दिक्कत न हो। यदि आपको लगता है कि आप कोई खास आसन नहीं कर सकते या आपका शरीर उसके लिए तैयार नहीं तो जबर्दस्ती न करें।
Source - Jagran