हर साल हजारों की तादाद में छात्र इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर कॉलेज से बाहर निकलते हैं और सोचते हैं कि एक अच्छी सी नौकरी मिल जाने के बाद लाइफ की सभी दिक्कतें दूर होगी. वहीं आज इंजीनियरिंग कर चुके छात्रों की हालात की काफी बुरी हो गई है. उनके पास डिग्री तो होती है लेकिन उस डिग्री के सहारे नौकरी मिल पाना काफी मुश्किल है. जिसके चलते इंजीनियरिंग कर चुके उम्मीदवारों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है. आइए नजर डालते हैं इस रिपोर्ट पर.
रोजगार का आकलन करने वाली कंपनी "एस्पायरिंग माइंड्स" की रिपोर्ट के अनुसार देश के 80 प्रतिशत से अधिक भारतीय इंजीनियर बेरोजगार हैं. वहीं इंजीनियरिंग कर चुके कुछ ही छात्रों को उनके अनुभव और स्किल्स के आधार पर नौकरी मिलती है.
बता दें, ये रोजगार रिपोर्ट भारत, अमेरिका और चीन के इंजीनियरिंग छात्रों पर की गई एक रिसर्च पर आधारित है.
एस्पाइरिंग माइंड्स के सह-संस्थापक वरुण अग्रवाल ने कहा कि देश भर में शैक्षणिक संस्थान लाखों युवाओं को प्रशिक्षित करते हैं लेकिन इन संस्थानों से निकले छात्र रोजगार के लिए तैयार नहीं होते और कंपनियां प्राय: यह शिकायत करती हैं कि उनमें रोजगार के लिए जरूरी कुशल और प्रतिभाशाली लोग नहीं मिल पाते हैं.
जानिए- रिपोर्ट के अनुसार क्या है रोजगार की मुख्य वजह?
1. 3.84 प्रतिशत इंजीनियर के पास स्टार्ट-अप में सॉफ्टवेयर से संबंधित नौकरियों के लिए आवश्यक तकनीकी, संज्ञानात्मक और भाषाई स्किल हैं.
2. केवल 3 प्रतिशत इंजीनियरों के पास उन क्षेत्रों में नए-पुराने तकनीकी कौशल की जानकारी हैं,जो अब फलफूल रहे हैं जैसे:- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और मोबाइल डेवलपमेंट.
3. इस प्रकार, केवल 1.7 प्रतिशत इंजीनियरों के पास नए दौर की नौकरियों में काम करने के लिए आवश्यक कौशल हैं.
6. रिपोर्ट में भारत के इंजीनियरों के कम रोजगार के प्राथमिक कारण दिए गए हैं - केवल 40 प्रतिशत इंजीनियरिंग छात्र एक इंटर्नशिप करते हैं, जबकि केवल 7 प्रतिशत छात्र कई इंटर्नशिप करते हैं.
5. इंटर्नशिप की कमी के अलावा, इंजीनियरों के पास कम रोजगार भी है क्योंकि केवल 36 प्रतिशत ही अपने कोर्स से परे प्रोजेक्ट करते हैं. इस प्रकार, वे विभिन्न स्थितियों में समस्याओं को हल करने के लिए योग्य नहीं हो पाते.
7. इंजीनियरों की कम रोजगार क्षमता में एक और समस्या यह है कि इस विषय को कॉलेजों में बहुत ही सैद्धांतिक तरीके से पढ़ाया जाता है.
8. 60 प्रतिशत फैकल्टी उद्योग में अवधारणाओं के आवेदन के बारे में बात नहीं करते हैं और केवल 47 प्रतिशत इंजीनियर किसी भी उद्योग की बात करते हैं.
9. एस्पाइरिंग माइंड्स एम्प्लॉयबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, चीन में भारत की तुलना में 3-4 गुना अधिक इंजीनियर हैं. वहीं इंजीनियरिंग और देश के तमाम युवाओं के लिए बेरोजगारी एक समस्या है जो देश के खतरा बनती जा रही है.
Source - Aaj tak