एचपीवी डीएनए पैप टेस्ट से बेहतर है, क्योंकि यह कैंसर का कारण बननेवाले कई प्रकार के ह्यूमन पैपीलोमा वायरस को डिटेक्ट कर सकता है, जो पैप टेस्ट से मुमकिन नहीं है. आपसे मिले सैंपल को डॉक्टर एक लिक्विड कंटेनर में रखेंगे, जिसे लैब में प्रोसेस कर टेस्ट किया जाएगा. इस टेस्ट के ज़रिए समय से पहले कैंसर का कारण बननेवाले सेल्स के बारे में पता लगाया जा सकता है. यही कारण है कि आपके डॉक्टर ने आपको इस टेस्ट की सलाह दी है.
ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स बहुत ही प्रभावशाली गर्भनिरोधक होते हैं. यह एक मिथक है कि इससे गर्भाशय का कैंसर होता है, बल्कि यह गर्भाशय के कैंसर से आपकी सुरक्षा करता है. कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के हार्मोनल गुणों के कारण पिल्स लेनेवाली महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर की संभावना, पिल्स न लेनेवाली महिलाओं के मुक़ाबले बहुत कम होती है. सर्वाइकल कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस), मल्टीपल सेक्सुअल पार्टनर्स, धूम्रपान, कम उम्र में सेक्सुअली एक्टिव होना आदि.
35 साल की उम्र के बाद सभी महिलाओं को सर्वाइकल स्क्रीनिंग ज़रूर करवानी चाहिए. चाहे आप पैप टेस्ट करवाएं, विनेगर टेस्ट या फिर एचपीवी डीएनए टेस्ट. इन टेस्ट्स की मदद से समय से पहले कैंसर की संभावना का पता लगाया जा सकता है. अगर आपकी रिपोर्ट निगेटिव आती है, तो आप पांच साल बाद टेस्ट रिपीट कर सकती हैं. लेकिन अगर इस बीच कभी आपको बेवजह ब्लीडिंग हो, तो ये टेस्ट्स ज़रूर करवाएं. सर्वाइकल कैंसर को होने में क़रीब 10-15 साल लगते हैं, इसलिए अगर आप नियमित रूप से अपने टेस्ट्स करवा रही हैं, तो इससे आसानी से बचा जा सकता है. जितनी जल्दी इसका पता चलेगा, उतनी जल्दी इसकी रोकथाम हो सकेगी, इसलिए 35 साल की उम्र के बाद सभी महिलाओं को ये टेस्ट्स ज़रूर करवाने चाहिए.
Source - Aaj tak