DIWALI 2019: ऐसे करें नकली मिठाई की पहचान



अभी भी त्योहार का मजा मिठाइयों से ही आता है. केवल खुद खाने में ही नहीं, फैस्टिवल में मिठाइयां उपहार में भी देने का रिवाज है. दशहरा से ले कर दीवाली तक मिठाइयों की खरीदारी सब से अधिक होती है. इन की दुकानों के आगे लगी भीड़ इस बात की गवाह होती है कि लोग फैस्टिवल सीजन में कितनी मिठाई खरीदते हैं. मगर मिठाई की बढ़ी हुई खपत को पूरा करने और ज्यादा मुनाफे के लिए फैस्टिव सीजन में नकली मिठाई बनाने का काम बढ़ जाता है. मिठाई में सब से ज्यादा खोया ही नकली यानी मिलावटी होता है. इस के अलावा मिठाई में डाला जाने वाला रंग भी नकली होता है. बेसन और बूंदी से तैयार होने वाले लड्डू और बालू शाही तक मिलावटी हो जाती हैं.

यही वजह है कि अब मिठाई कम खरीदी जा रही है. अब ज्यादातर लोग ड्राईफ्रूट्स, चौकलेट और मेवे से तैयार मिठाई उपहार में देने लगे हैं. यह महंगी होने के बावजूद लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है.

मिलावट की वजह से फैस्टिवल में मिठाई का मजा किरकिरा न हो ऐसे में उसे खाने से पहले उस की जांच कर लेनी जरूरी होती है. अब यह जांच आप खुद भी कर सकते हैं, जिस से सेहत को नुकसान नहीं होता है.

1. कैसे बनता है नकली खोया

1 किलोग्राम दूध से सिर्फ 200 ग्राम खोया ही निकलता है. इस से खोया बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता. अत: ज्यादा लाभ के लिए मिलावटी खोया बनाया जाता है. इसे बनाने में शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है. आलू का प्रयोग सब से ज्यादा होता है.

नकली खोए से बनने वाली मिठाई जल्दी खराब हो जाती है. इस के अलावा नकली खोया बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि खोए का वजन बढ़ जाए. इस के अलावा खोए का वजन बढ़ाने के लिए उस में आटा भी मिलाया जाता है.

नकली खोया असली खोए की तरह दिखे इस के लिए उस में कैमिकल भी मिलाया जाता है. कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिला कर खोया तैयार करते हैं. इस के लिए सिंथैटिक दूध का प्रयोग किया जाता है. फैस्टिवल से पहले बाजार में सिंथैटिक दूध का भी आतंक बढ़ जाता है.

सिंथैटिक दूध बनाने के लिए सब से पहले उस में यूरिया डाल कर उसे हलकी आंच पर उबाला जाता है. उस के बाद उस में कपड़े धोने वाला डिटर्जैंट, सोडा स्टार्च, वाशिंग पाउडर आदि मिलाया जाता है. उस के बाद थोड़ा असली दूध भी मिलाया जाता है. इस दूध से तैयार होने वाला खोया सब से खराब होता है.

2. शरीर को नुकसान देती मिलावटी मिठाई

मिलावटी खोए और सिंथैटिक दूध से फूड पौइजनिंग हो सकती है. इस से उलटी और दस्त की शिकायत भी हो सकती है. ये किडनी और लिवर पर भी बहुत असर डालते हैं. इन से स्किन से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है. अधिक मात्रा में नकली मावे से बनी मिठाई खाने से लिवर को भी नुकसान पहुंच सकता है. लिवर का साइज बढ़ जाता है. इस से कैंसर तक का खतरा हो सकता है. ऐसे में यह जरूरी है कि खाने से पहले असली दूध और नकली दूध में फर्क करना समझ लें. इस के लिए थोड़ा सजग रह कर असली और नकली दूध में फर्क कर सकते हैं.

सिंथैटिक दूध से साबुन जैसी गंध आती है, जबकि असली दूध में कोई खास गंध नहीं आती. असली दूध का स्वाद हलका मीठा होता है जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जैंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है.

इस के साथ ही साथ असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता जबकि नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है. अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो यह हलके पीले रंग का ही होता है. वहीं अगर सिंथैटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो यह गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है. अगर असली दूध को उबालें तो उस का रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है. असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होगी. मिलावट का यह महाजाल त्योहारों के मौसम में खासतौर से रचा जाता है. इस में मिठाई, मावा, दूध, पनीर और घी के तो पूरे पैसे लिए जाते हैं, लेकिन इस के बदले मिलती बीमारियां हैं.

3. आसान है असली-नकली की पहचान

दूध में मिलावट की पहचान करना आसान है. थोड़े से दूध में बराबर मात्रा में पानी मिलाएं. अगर उस में झाग आए तो समझ लें कि इस में डिटर्जैंट की मिलावट है. सिंथैटिक दूध की पहचान करने के लिए दूध को हथेलियों के बीच रगड़ें. अगर साबुन जैसा लगे तो दूध सिंथैटिक हो सकता है. सिंथैटिक दूध गरम करने पर हलका पीला हो जाता है.

ऐेसे ही मिलावटी खोए की पहचान के लिए फिल्टर पर आयोडीन की 2-3 बूंदें डालें. अगर वह काला पड़ जाए तो समझ लें कि मिलावटी है. खोया अगर दानेदार है तो वह मिलावटी हो सकता है. इस की पहचान के लिए उंगलियों के बीच उसे मसलें. दाने जैसे लगें तो खोया मिलावटी है.

मिलावटी घी की पहचान के लिए उस में कुछ बूंदें आयोडीन टिंचर की मिला दें. अगर घी का रंग नीला हो जाए तो वह मिलावटी हो सकता है.

पनीर को पानी में उबाल कर ठंडा कर लें. इस में कुछ बूंदें आयोडीन टिंचर की डालें. अगर पनीर का रंग नीला हो जाए तो समझ लें कि वह मिलावटी है. मिठाई पर चढ़े चांदी के वर्क में ऐल्यूमिनियम धातु की मिलावट की जाती है, जो सेहत के लिए अच्छी नहीं होती. ऐल्यूमिनियम की मिलावट की आसानी से जांच की जा सकती है. चांदी के वर्क को जलाने से वह उतने ही वजन का छोटे से गेंद जैसा हो जाता है. अगर वर्क मिलावटी हुआ तो वह स्लेटी रंग का जला हुआ कागज बन जाएगा.

चौकलेट, कौफी या चौकलेट पाउडर में चिकोरी और गुड़ की मिलावट की जाती है. चौकलेट का पाउडर बना लें और उस पाउडर पर 1 गिलास पानी छिड़कें. कौफी और चौकलेट पाउडर पानी के ऊपर तैरने लगेगा और चिकोरी नीचे बैठ जाएगी. यही हाल गुड़ की मिलावट का है. पानी में चौकलेट डालिए. अगर गुड़ हुआ तो चिकना मीठा सा लिसलिसा पदार्थ पानी में घुल जाएगा.

Source - Saras Salil