कम्पनियां आपकी हर ऑनलाइन गतिविधि पर नज़र रखती हैं, आपके बारे में डेटा इकट्ठा करती हैं और अब बहुत सस्ते में उसे बेचने के लिए भी तैयार बैठी हैं। अधिकतर लोगों के क्लिक्स के आधार पर उन्हें ट्रैक किया जा रहा है।
दो जर्मन रिसर्चरों, जर्नलिस्ट स्विया एकर्ट और डेटा सायेंटिस्ट ऐंड्रियास ड्यूईस का दावा है कि उनके हाथ एक जर्मन जज की पॉर्न ब्राउजिंग हिस्ट्री और एक नेता के ड्रग खरीदने का डेटा आसानी से ऑनलाइन मिले हैं।
बीबीसी के मुताबिक इस जोड़ी को यह डेटा उन कम्पनियों से मिला है जो 30 लाख जर्मन नागरिकों की क्लिकस्ट्रीम का डेटा इकट्ठा कर के बैठी हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि इसी तरह किसी भी यूजर का डेटा किसी भी कम्पनी के पास मौजूद हो सकता है।
बीबीसी के मुताबिक इस जोड़ी को यह डेटा उन कम्पनियों से मिला है जो 30 लाख जर्मन नागरिकों की क्लिकस्ट्रीम का डेटा इकट्ठा कर के बैठी हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि इसी तरह किसी भी यूजर का डेटा किसी भी कम्पनी के पास मौजूद हो सकता है।
इंटरनेट पर यूजर्स को ट्रैक करने से उनकी पसंद के मुताबिक उन्हें ऐड्स परोसने में मदद मिलती है। लोगों को ऑनलाइन देखकर मार्केटर अपनी पोस्ट्स चुनिंदा लोगों को भेज सकती हैं जिससे उनकी चीजों के खरीदे जाने की संभावना बढ़ जाती है।
इस तरह के डेटा का बेनामी होना ज़रूरी है और इसे इकट्ठा करना कानून के खिलाफ है। लेकिन न सिर्फ इसे इकट्ठा किया जाता है, बल्कि आसानी से ऑनलाइन बेचा भी जाता है। इन दोनों ने आगे बताया कि लोगों के लिए इस डेटा के आधार पर किसी की पहचान स्थापित करना काफी आसान है। जिससे उन्हें पता चल जाता है कि वे किसकी ब्राउजिंग हिस्ट्री देख रहे हैं।
इस डेटा में व्यक्ति विशेष द्वारा देखे गए यूट्यूब विडियो, शेयर किए गए आर्टिकल्स या मीडिया से संबंधित हिस्ट्री भी शामिल है। कुछ केसों में लोगों ने निजी सोशल मीडिया पेज भी विजिट किए हैं, जिनका ऐक्सेस सिर्फ उनके ओनर के पास ही हो सकता है। इस तरह आसानी से व्यक्ति की पहचान की जा सकती है।
Source - NBT