बैंक में लॉकर खोल रही हैं, तो इन बातों को गांठ बांध लें


शादी का सीजन चल रहा है. घर में शादी है, तो खूब सारी खरीदारी कर रही होंगी. कपड़े, मेकअप, गहने वगैरह. शादी वाला घर किसी दुकान की तरह लगने लगता है. हर तरफ सामान. कुछ सोचा है कि ऐसे में जूलरी को कहां सुरक्षित रखेंगी? घर पर जूलरी रखने पर डर रहता है. कहीं चोरी न हो जाए.

आपके कीमती सामान को बैंक लॉकर में रखना अच्छा ऑप्शन हो सकता है. घर की तुलना में ये सामान यहां ज्यादा सुरक्षित रहेगा. लेकिन क्या आपके पास लॉकर है. बैंक जाकर कोई भी लॉकर खुलवा सकता है. आप भी. हम बताते हैं कैसे.

आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) सभी सरकारी और प्राइवेट बैंकों को कंट्रोल करता है. उनके काम वगैरह को देखता है. बैंक लॉकर के लिए भी आरबीआई ने कुछ नियम बनाए हैं.

हमने इस बारे में एसबीआई की जबलपुर ब्रांच में असिस्टेंट मैनेजर से बात की. उन्होंने हमें ये नियम और बातें बताई.

-जिस ब्रांच में खाता हो, उसी में लॉकर खुलवाएं

आरबीआई के हिसाब से आप किसी भी बैंक के किसी भी ब्रांच में लॉकर खुलवा सकती हैं. उसमें आपका अकाउंट होना जरूरी नहीं है. लेकिन असल में बैंक ऐसा नहीं करते हैं. आप बैंक जाएंगी, तो वो कहेंगे कि आपका इस ब्रांच में अकाउंट है. आप कहेंगी नहीं, तो वो कहेंगे कि लॉकर का किराया, सिक्योरिटी डिपॉजिट, बाकी चार्ज वगैरह कैसे काटेंगे. इसीलिए आपको बैंक में खाता खुलवाने के लिए कहेंगे. अच्छा होगा कि आप उसी बैंक में लॉकर खुलवाएं, जहां आपका खाता खुला हो.

-क्या करें जब बैंक आपके कहे कि लॉकर खाली नहीं है

बैंकों में लॉकर की संख्या लिमिटेड होती है. ऐसे में कई बार बैंक कुछ लॉकर अन्य ग्राहकों को लिए रिजर्व करके रखते हैं और ग्राहकों से कहते हैं कि लॉकर उपलब्ध नहीं है. वैसे अब ये सुविधा आ चुकी है कि बैंक की किसी भी ब्रांच लॉकर को आप ऑनलाइन चैक कर सकती हैं. लेकिन अगर आप ऑनलाइन चैक नहीं कर सकतीं, तो बैंक जाकर बात कर सकती हैं. बैंक में लिखकर दें कि आपको लॉकर चाहिए. अगर बैंक जवाब न दे तो बैंक से कहें कि वो लिखकर दें कि लॉकर उपलब्ध नहीं है. अगर बैंक अब भी जवाब नहीं दे रहा है, तो इसकी शिकायत कर सकते हैं. आरटीआई (राइट टू इंफोर्मेशन) भी लगा सकते हैं.

-जब बैंक लॉकर के लिए एफडी खुलवाने को कहे

बैंक आपको एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) खुलवाने के लिए कहेंगे. वो ऐसा इसीलिए कहते हैं कि क्योंकि कई बार लोगों के अकाउंट में इतना पैसा नहीं होता कि वो उसमें से साल का किराया काट सकें. इस वजह से वो एफडी के रूप में तीन साल का एडवांस किराया मांगने की कोशिश करते हैं. देखिए, सीधी बात ये है कि वो आपको एफडी खुलवाने के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकते. क्योंकि आरबीआई के नियम कहते हैं कि बैंक आपको फायनेंशियल प्रोडक्ट जैसे लॉकर बीमा, इन्वेस्टमेंट प्लान, म्यूच्यूअल फंड या फिक्स डिपॉजिट खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. ये गैरकानूनी है. अगर बैंक इस पर जोर देता है, तो आप इसकी शिकायत बैंक के नोडल अधिकारी, यानी ऊंचे लेवल के अधिकारी या आरबीआई को भी कर सकते हैं. हां, लेकिन अगर आप एफडी खुलवाती हैं, तो कोई दिक्कत नहीं है. क्योंकि आपको नॉर्मल एफडी के इंटरेस्ट के हिसाब से ब्याज ही मिलेगा. बैंक लॉकर खुलवाने से पहले आपके परिवार के किसी और सदस्य का भी उसी ब्रांच में अकाउंट खुलवाने का कहते हैं.

-कौन से साइज का लॉकर लेंगी

बैंक में मीडियम और लार्ज यानी दो साइज के लॉकर होते हैं. सभी की सिक्योरिटी बराबर होती है. अंतर होता है, तो साइज का. अगर आप लॉकर में ज्यादा सामान रखना चाहती है, तो बड़ा लॉकर ले लें. लेकिन इसका आपको ज्यादा सालाना किराया भी देना होगा. सिर्फ जूलरी रखनी है, तो छोटा लॉकर भी ले सकती हैं. इसका किराया 1000 रुपये होगा. इसके साथ जीएसटी भी आपको देना होगा. आप ये समझ लें कि लॉकर की फीस उसके साइज के हिसाब से होती है. निजी बैंक में ज्यादा फीस होती है. सरकारी बैंकों के लॉकर का किराया कम होता है. प्रायवेट बैंकों के लॉकर का किराया 3,000 रुपये से 20,000 रुपये के बीच हो सकता है. आपका लॉकर जिस बैंक में है, वो कहां है उसके हिसाब से भी किराया कम ज्यादा हो सकता है. जैसे बैंक बड़े शहर, छोटे शहर, कस्बे या गांव में है.

-ऐसे शुरू करें लॉकर

बैंक आपको फॉर्म भरने के लिए देगा. फॉर्म भर देने के बाद आपको लॉकर का नंबर मिलेगा. ये नंबर आप चुन सकती हैं, नहीं तो बैंक खुद दे सकता है. आपको लॉकर की दो चाबी मिलेंगी. दो चाबी इसीलिए क्योंकि ये लॉकर एक चाबी से खुलेगा ही नहीं. दोनों चाबियां लगाकर ही उसे खोला जा सकेगा. एक चाबी आप रखेंगी, दूसरी बैंक अपने पास रखेगा. यानी बिना बताए बैंक आपके लॉकर में झांक नहीं सकता. न ही बैंक को बताए बिना आप लॉकर खोल सकती हैं. इससे आपकी कीमती सामान की सुरक्षा रहती है. और हां, कितनी बार लॉकर खोल सकती हैं, अलग-अलग बैंकों के हिसाब से अलग-अलग लिमिट होती है. यानी अगर आप सोचें कि रोज बैंक जाकर अपना सामान देख आएं, तो ये नहीं कर सकेंगी.

अगर आप बैंक में जाकर ये सवाल करेंगी, तो वो आपसे कहेंगे कि हमारी कोई गारंटी नहीं है कि आपका सामान 100 परसेंट सुरक्षित है. ऊपर से ये भी कह देंगे कि मुआवजे की कोई उम्मीद मत करिएगा. दरअसल लॉकर में रखी आपकी चीजों के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं है. भूकंप, आग लगने. बाढ़ आने, लूट, चोरी वगैरह में भी नहीं. बैंक लॉकर में रखी चीजों का मुआवजा यानी चीजों के बदले पैसे देने से मना कर देते हैं. उनका कहना होता है कि उन्हें पता ही नहीं था कि आपके लॉकर में क्या कुछ रखा था, तो पैसा किस बात का देंगे.

Source - Aaj Tak