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पिछले कुछ दिनों से आपको खांसी आ रही है, ठीक नहीं हो रही. आपने कफ सिरप भी पी लिया, दवा की दूकान से जाकर गोली भी ले ली, फिर भी आराम नहीं हो रहा. गरम पानी के गरारे भी कोई फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं. अब आप क्या करती हैं?
अगर आप अपनी बीमारी के बारे में जानकारी लेने के लिए गूगल का सहारा लेती हैं तो रुक जाइए. हां हमें मालूम है कि आसान होता है बस गूगल में टाइप करके कुछ भी जान लेना. लेकिन गूगल पर मिली जानकारी हमेशा सही नहीं होती. इस बात की चेतावनी हाल में ही सामने निकल कर आई है एक रीसर्च में. इंग्लैंड में हुई इस रीसर्च में पता चला है कि पिछले तीन सालों में गंभीर हेल्थ इशूज को लेकर इन्टरनेट पर सर्च करने की प्रवृत्ति लोगों में बढ़ी है. कितनी बढ़ी है? ये आप ऐसे मान लो कि सीने में दर्द कितना सीरियस है, इस सवाल को पूछने वालों की संख्या में 8,781 फीसद का इजाफा हुआ है.
जानकारी के लिए लोग गूगल पर भरोसा करते हैं. क्योंकि कुछ भी पूछने पर गूगल उनके सामने कई आप्शन खोल कर रख देता है जहां से जानकारी ली जा सकती है. अब इसमें आप जांचे परखें, क्या देखें क्या नहीं, ये आप पे डिपेंड करता है. चलिए मान लीजिए आपने कोई सवाल पूछा, कि यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में कितने राज्य हैं. गूगल पर जवाब मिल गया, 50. आपने दो तीन लिंक चेक किये, हर जगह ये जवाब था, आपने मान लिया सही है. ये जानकारी बदलेगी नहीं, इस पर असर डालने वाले फैक्टर बेहद कम हैं. मतलब बहुत ही कम. आपको जानकारी मिल गई. लेकिन जब आप अपने स्वास्थ्य से जुडी हुई चीज़ें सर्च करती हैं तो आपको जो भी जानकारी मिलती है वो एक स्टैण्डर्ड के हिसाब से मिलती है.
ज़रूरी नहीं है कि हर आदमी की बीमारी उसी स्टैण्डर्ड को फौलो करे. टीबी में खांसी आती है, लेकिन कई बार सर्दियों में हवा भारी होने की वजह से भी खांसी होती है. अब आप बिना जांच करवाए कैसे जानेंगी कि आपको टीबी है या बस सांस की हलकी सी परेशानी? एक चलताऊ जोक है, कि अगर आप इन्टरनेट पर अपनी बीमारी के लक्षण डालकर सर्च करें, तो कहीं न कहीं आपको कैंसर निकल ही आएगा. एक मामूली सिरदर्द, नजले बुखार से लेकर पैरों में दर्द तक- सब कुछ हर इंसान के लिए अलग होता है. गूगल सबसे ज्यादा जनरल यानी आम तौर पर देखे जाने वाले लक्षणों को की लिस्ट करता है. ज़रूरी नहीं कि आपका शरीर जिस बीमारी से गुजर रहा हो, उससे जुड़े लक्षण आपको देखने को मिलें, या उसी रूप में मिलें जैसा आप इन्टरनेट पर पढ़ रही हैं.
इसलिए बीमारी को सेल्फ डायग्नोस यानी खुद से पहचानने के बजाए डॉक्टर पर भरोसा रखें. अच्छे डॉक्टर्स जिनका रिव्यू बेहतर हो, जिनके पास पेशेंट्स जाकर संतुष्ट रहते हों, ऐसे डॉक्टर्स के पास जाकर जांच करवाएं, साल में एक बार फुल बॉडी चेकअप जरूर करवाएं, ताकि आपको पता चलता रहे आपका शरीर किस हालत में है. सेहत की जब बात आती है, तो इन्टरनेट के भरोसे उसके साथ खिलवाड़ ना करें.
Source - Aaj Tak