‘ये वक़्त भी गुज़र जाएगा,’ लॉकडाउन में हैप्पी और मोटिवेटेड रहने के स्मार्ट टिप्स



कोरोना के कहर से पूरा देश इस समय लॉकडाउन में है. महामारी से बचने के लिए लोग घरों में कैद हो गए हैं. दिनभर घर में काम करने के बाद शाम तक ऐसा मन होता है कि कहीं भाग जाएं, पर जाएंगे कहां? ऐसा लगता है हमारी खुशियों की किसी की नज़र लग गयी है. अगर आपके मन में भी ऐसे ख़्याल आ रहे हैं, तो आपको ज़रुरत है मोटिवेशन की. मन के डर और निराशा को दूर भगाने के लिए हम यहां कुछ स्मार्ट हैपिनेस टिप्स.

आपने अकबर और बीरबल की वह कहानी तो सुनी ही होगी, जब महाराज अकबर बीरबल से कहते हैं कि बीरबल कोई एक ऐसा वाक्य बताओ, जिसे सुनकर ख़ुशी में दुःख मिले और दुःख में ख़ुशी. और हमारे चतुर राजा बीरबल ने कहा था कि ये वक़्त भी बीत जायेगा. अगर कोई बहुत खुश हो उसे ये सुनाओ तो उसे बुरा लगता है, पर अगर उदासी में किसी को सुनाएं, तो उसमें नया उत्साह आता है. आज हमें इसी की ज़रुरत है. हर व्यक्ति अगर इस बात को कहे, तो उसका मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा और वो ख़ुश भी रहेगा.

स्मार्ट हैपीनेस टिप्स

सबसे पहले तो मुस्कुराइये कि ये आर्टिकल पढ़ने के लिए आप ज़िंदा हैं. अब चाहें तो खिलखिलाकर अपने ज़िंदा होने का सबूत सबको दें. यकीन मानिए आपके चेहरे की मुस्कराहट घर में सभी के चेहरे खिला देगी.

अब अगर आप वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, तो हर आधे एक घंटे में लैपटॉप से ब्रेक लें और घर में सौ कदम चलें. ऐसा करने से शरीर में अकड़न नहीं आएगी और चलने फिरने से आप अच्छा महसूस करेंगे.

काम ख़त्म के बाद बोरियत दूर करने के लिए कोई कॉमेडी फिल्म देखें या फिर डांस शो. भूलकर भी न्यूज़ चैनल लगाके न बैठें. कोरोना की बार बार खबर हमारे मस्तिष्क को बुरी तरह प्रभावित कर रही है.

दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को 15 मिनट तक न्यूज़ देखकर आपको देश दुनिया की खबर मिल जायेगी, उससे ज़्यादा जानने की आपको ज़रुरत नहीं है. इसलिए जितना कम कोरोना से जुड़ी खबर देखेंगे, उतना खुश रहेंगे.

ख़ुश होना हमे बच्चों से सीखना चाहिये, वो हर हाल में खुश रहते हैं, इसलिए ऐसे में आपको बच्चों के साथ खेलना चाहिए. बच्चों के साथ खेलते हुए हम बीमारी, महामारी सब भूल जाते हैं और इस समय यही हमारे लिए ज़रूरी है.

कोरोना से लड़ने के लिए पूरे परिवार को एक यूनिट की तरह काम करना है. इस बीमारी ने हमें अपनों की सुरक्षा का एहसास दिलाया है, जो शायद भागदौड़ की इस ज़िन्दगी में कहीं गुम गया था.

हम सामाजिक प्राणी हैं, इसलिये बिना मिले और बात किये हमे बड़ा अजीब लग रहा है. यह वक़्त है अपनों से संवाद बढ़ाने का. उनको करीब से जानने का. समझो प्रकृति ने हमें अपनों से और बेहतर जुड़ने के लिए ही यह स्थिति पैदा की हो.

जिन रिश्तेदारों से बहुत दिनों से बात नहीं हुई, उन्हें कॉल करके उनका हाल चल लें. रिश्ते में नई ताज़गी आ जायेगी.

यारों को सहेलियों को वीडियो कॉल करें, अपनी कहें और उनकी सुनें.

जो किताब कई दिनों से आप पढ़ना चाह रहे थे, अब उसे पूरा करने का समय आ गया है. वैसे चाहें तो अपनी फेवरेट किताब को दोबारा पढ़ सकते हैं.

इस समय ज़्यादातर लोग सिरदर्द, बदनदर्द से परेशान हैं, ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपने शरीर को थोड़ा फ्री करें. सुबह शाम नाश्ते से पहले अपने फेवरेट फ़िल्मी जाने पर थोड़े ठुमके लगाएं. लगेगा जैसे ज़िन्दगी मुस्कुरा रही है.

आजकल जिसे देखो वो सोशल मीडिया पर रोज़ कुछ न कुछ नया बनाकर फोटो शेयर कर रहा है, सबके भीतर के छुपे मास्टर शेफ बाहर निकल रहे हैं. और अच्छा भी है, अपनी और अपनों की ख़ुशी के लिए ये अच्छा तरीका है.

अपने खाने के साथ साथ गली के उन जानवरों का भी ख़्याल कर लें, जो दुकानें बंद होने के कारण यहां-वहां खाने के लिए भटक रहे हैं. ज़्यादा नहीं बस कुछ बिस्किट या ब्रेड या पाव दूध में डुबोकर उन्हें दे दें. और साथ ही पानी का एक कटोरा रख दें. गर्मियां शुरू हो गयी हैं, उन्हें भी हमारी तरह प्यास लगती है.

अपने बड़ों के पास थोड़ी देर बैठें, उनके सुने किस्से फिर सुनें और अपने सुनाएँ. रिश्तों की डोर थोड़ी और मज़बूत करें और कोरोना को हराने में सभी की मदद करें.

Source  -Meri Saheli