अमृतसर हादसा: ट्रेन की चपेट में अाकर पिता की मौत, गोद में रहा 10 माह का बच्‍चा ऐसे बचा


यहां जोड़ा रेल फाटक पर हुए हादसे में 62 लोग मारे गए, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो बाल-बाल बच गए। कुछ ऐसे तकदीर वाले थे जिनके लिए 'जाको राखे साइयां मार सके ना कोई' की उक्ति चरितार्थ होती है। ऐसी ही एक 10 महीने के बच्‍चे की जान बची। जिस समय हादसा हुआ बच्‍चा अपने पिता की गोद में था और पास ही उसकी मां भी खड़ी थी। इस दौरान जब रावण दहन के दौरान ट्रेन वहां से गुजरी तो पिता भी उसकी चपेट में आ गया, लेकिन बच्‍चा उसकी गोद से उछलकर पीछे खड़ी महिला की गाेद में गिर गया।


इस हादसे में बच्‍चे के पिता की मौत हो गई और में मां भी लापता हो गई। दो-दिन की मशक्‍कत के बाद पुलिस ने बच्‍चे की मां को ढ़ूंढ़ लिया। परिवार से बिछड़ने के बाद से गुमसुम बच्‍चा मां को देखते ही चहक उठा। हादसे के 42 घंटे बाद 10 महीने का विशाल जब मां की गोद में पहुंचा तो खुशी के मारे चहकने लगा। हादसे में जख्मी मां राधिका ने जिगर के टुकड़े को सीने से लगा लिया। बच्‍चे ने मां को परिवार की पुलिस तलाश के लिए काफी मशक्‍कत की। पुलिस ने इस बाबत जोड़ा फाटक और उसके आसपास के सभी इलाकों में बच्चे की पहचान के लिए मैसेज किया।



संगीता नाम की महिला ने बताया कि रावण दहन के दौरान वह दीवार के साथ सट कर पुतलों को जलता हुआ देख रही थी। उसके आगे रेलवे लाइन के पास एक दंपती बच्चे को गोद में उठाए रावण की तरफ इशारे कर बच्चे को उसकी ओर दिखा रहा था। बच्‍ची पिता की गोद में था। इस दौरान बच्चा बार-बार उसकी (संगीता) तरफ देखकर हंसने लगता था।

संगीता ने बताया कि इस बीच ट्रेन वहां पहुंच गई और बच्चे के पिता को जोरदार टक्कर लगी। इससे बच्चा उछलकर उनकी गोद में आकर गिर गया। बच्चे की मां को भी चोटें लगीं, लेकिन भगदड़ के कारण उसका पता नहीं चला। हादसे के बाद संगीता ने बच्चे को लेकर उसकी मां, पिता को जानने का प्रयास किया, लेकिन कहीं से बच्ची के परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद संगीता ने बच्चे के बारे में जिला प्रशासन को जानकारी दी। बाद में बच्चे को जिला कानूनी सेवाएं अॉथरिटी के पदाधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया।

राधिका को दिखाए गए थे तीन बच्चे

बिछड़े बच्चे को मां तक पहुंचाने के लिए हरसंभव कोशिश हो रही थी। इसमें कोई भी देरी नहीं चाहता था, लेकिन जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी के सचिव बच्चा मां को देने से पहले तसल्ली कर लेना चाहते थे। उन्होंने तीन अलग-अलग बच्चों को राधिका को दिखाया, लेकिन अपना बच्चा वह नकारती रही। जब उसे विशाल दिखाया गया तो दोनों (मां-बेटे) के चेहरे पर जो खुशी दिखी उससे सब कुछ साफ हो गया। फिर बच्चा मां को सौंप दिया गया। 

मां की गोद में 10 माह का विशाल।

महिला ने बताया कि वह पति बुधराम व परिवार सहित उत्‍तर प्रदेश के सुल्तानपुर के गांव सरायभारे से यहां अपने रिश्तेदार के पास दशहरा मनाने आई थी। उसका गांव थाना बल्दीराय के तहत आता है। राधिका अपने पति बुध राम, बेटे विशाल और बेटी सुलोचना के साथ दशहरा मनाने अपनी बहन प्रीति के घर पहुंची थी। उसकी बहन यहां जोड़ा रेल फाटक के नजदीक रहती है। बहन का पति दिनेश परिवार के सभी सदस्यों को लेकर रावण के जलते पुतले दिखाने पहुंचा था।

उसने बताया कि जब दर्दनाक हादसा हुआ तो सभी लोग रेल ट्रैक से रावण दहन देख रहे थे। परिवार के पीछे एक महिला विशाल के साथ खेल रही थी। बुधराम को ट्रेन की टक्कर लगी तो विशाल उसकी गोद से उछलकर महिला की गोद में गिर गया। डेढ़ दिन तक महिला मासूम से लाशों व घायलों की पहचान करवाने की कोशिश करती रही। वह भी जोड़ा फाटक इलाके में ही रहती है।

शनिवार की शाम जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी के सदस्यों ने बच्चे को संरक्षण में ले लिया था। पिता बुधराम की हादसे में मौत हो गई थी। हादसे के बाद गंभीर हालत में राधिका को अमनदीप अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। राधिका को जब पता चला कि एक महिला उसके मासूम को गोद में लिए उसके माता-पिता को तलाशने का प्रयास कर रही है तो वह सिहर उठी। अजनबी महिला के पास उसके जिगर के टुकड़े ने इतना लंबा समय किस तरह से गुजारा होगा, यही वह सोच रही थी।

भीड़ में दब जाने से बची पिता-पुत्र की जान

10 वर्षीय विशाल अपने पापा राजेश के साथ मेला देखने गया था। भगदड़ में पिता का साथ छूट गया। इस दौरान दोनों भीड़ में दब गए अौर शायद इसलिए बच गए। पिता-पुत्र दोनों सिविल अस्पताल में दाखिल हैं। राजेश के अनुसार, पटाखों की आवाज के बीच हमें ट्रेन का हॉर्न सुनाई नहीं दिया।

ट्रेन के धक्के के बाद बच्चों के साथ किनारे गिर गया

दो बच्चों के साथ जख्मी हुए ललित कुमार ने बताया कि ट्रेन के आते ही धक्का लगा। मैं और मेरे दो बच्चे लवकुश तथा संदीप पटरी के किनारे जा गिरे। मेरे हाथ में फैक्चर है और लवकुश के सिर पर गहरी चोट लगी। मैं और मेरे बच्चे सलामत हैं, लेकिन इस घटना में जिन परिवारों के चिराग बुझ गए, उनके बारे में सोचकर ही रूह कांप उठती है।

पटरी से तो कूद गया लेकिन गिरने से टूट गईं पसलियां

बिहार के गोपालगंज के गांव समराल निवासी मतिलाल ने बताया कि ट्रेन आते ही चीखें मच गई। ट्रेन की रफ्तार इतनी थी कि किसी को समझने और संभलने का मौका नहीं मिला। मैं पटरी से कूदकर नीचे उतरा, लेकिन ट्रेन की चपेट में आ गया। छाती की पसलियां टूट गई हैं।

कोई तो मेरा खोया बेटा लौटा दे...

जोड़ा फाटक के पास हुए हादसे के बाद अब भी कई लोग लापता है। न्यू दशमेश नगर स्थित गली चूडिय़ां वाली निवासी नन्नू राम के 22 वर्षीय बेटे सोनू का भी पता नहीं चल पा रहा है। बेटे की घर वापसी की नन्नू राम की आंखों में उम्मीद अभी टूटी नहीं है। आंसुओं भरी आंखें लेकर नन्नू हादसे के बाद शनिवार भी सारा दिन रेलवे लाइनों पर अपने बेटे का आधार कार्ड लेकर टहलते रहे। कभी इधर तो कभी उधर अपने बेटे की तलाश करते रहे, मगर सारा दिन निराशा में गुजर गया। अपने बेटे की सूचना न पाकर खाली हाथ ही घर लौट गए। जाते हुए यही कह रहे थे कि पता नहीं उसका बेटा कहां होगा, कोई तो उसका बेटा लौटा दे।

नन्नू राम ने बताया कि शुक्रवार को शाम करीब पांच बजे सोनू मेला देखने के लिए घर से निकला था। उसके घर लौटने का पूरा परिवार आंखें बिछाकर इंतजार कर रहा है। सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में जाकर अपने बेटे की तलाश कर चुके हैं, मगर उनके हाथ कुछ नहीं लगा है

Source - Jagran